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लखनऊ

दागदार ईवीएम से चुने जाएंगे यूपी के ज्यादातर मेयर

– निवार्चन आयोग ने नहीं किया वीवीपैट वाली ईवीएम का इंतजाम – अब मध्यप्रदेश में बवाल का कारण बनीं ईवीएम होंगी इस्तेमाल
 

लखनऊOct 29, 2017 / 04:09 pm

आलोक पाण्डेय

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लखनऊ. निकाय चुनाव की निष्पक्षता संदेह के कठघरे में है। निर्वाचन आयोग वीवीपैट वाली ईवीएम का इंतजाम कराने में नाकाम रहा है। ऐसे में अब अधिकांश स्थानों पर मेयर का निर्वाचन साधारण ईवीएम से होगा। साधारण ईवीएम भी मध्यप्रदेश से मंगाई गई हैं, जिन्हें लेकर मध्यप्रदेश में अटेर विधानसभा सीट के उपचुनाव में बखेड़ा खड़ा हो चुका है। भाजपा के मुकाबले में उतरे अधिकांश राजनीतिक दलों को साधारण ईवीएम की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं है। निवार्चन आयोग की सफाई है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव के कारण राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने वीवीपैट ईवीएम उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया। इसी मजबूरी के कारण यूपी में उपलब्ध ईवीएम के अतिरिक्त मध्यप्रदेश से ईवीएम को मांगना पड़ा है।
यूपी में सिर्फ 16 हजार ईवीएम, एमपी से मांगी 56 हजार

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त निर्वाचन आयुक्त वेदप्रकाश वर्मा के मुताबिक, राज्य के 16 नगर निगमों में पार्षद और मेयर के चुनाव कराने के लिए 40 हजार कंट्रोल यूनिट्स और 72 हजार बैलट यूनिट की जरूरत है, लेकिन यूपी के पास सिर्फ 12 हजार कंट्रोल यूनिट्स और 16 हजार बैलेट यूनिट्स हैं। ऐसे में पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से 26 हजार कंट्रोल यूनिट्स और 56 हजार बैलेट यूनिट मंगाई गई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूपी में नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में बैलेट पेपर के जरिए चुनाव होगा, जबकि नगर निगम में वीवीपैट ईवीएम के जरिए चुनाव की तैयारी थी, लेकिन ऐन वक्त पर गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के कारण राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग ने वीवीपैट ईवीएम उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया।
दागदार हैं मध्यप्रदेश की ईवीएम, अटेर चुनाव में हुआ था हंगामा

मध्यप्रदेश की ईवीएम की विश्वसनीयता को भाजपा विरोधी दल संदेह की नजर से देखते रहे हैं। इसी वर्ष अप्रैल माह में अटेर विधानसभा सीट के उपचुनाव में मतदान से पहले परीक्षण के दौरान ईवीएम के किसी भी बटन को दबाने पर भाजपा उम्मीदवार के नाम की पर्ची निकल रही थी। इस जानकारी के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेसियों ने जोरदार हंगामा किया था। नतीजे में सरकार को तत्काल भिंड के एसपी और कलेक्टर का तबादला करना पड़ा था। बाद में राज्य निर्वाचन आयोग को सफाई देने के लिए मीडिया के सामने ईवीएम का प्रदर्शन करना पड़ा था, लेकिन मीडिया के सामने परीक्षण में भी ईवीएम की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग गए थे। अलबत्ता अटेर विधानसभा उपचुनाव का नतीजा कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे के पक्ष में आया था।
सपा-कांग्रेस ने शुरू किया मध्यप्रदेश की ईवीएम का विरोध

निकाय चुनाव में मेयर के निर्वाचन में मध्यप्रदेश की दागदार ईवीएम के इस्तेमाल को सपा और कांग्रेस ने भाजपा की मिली-भगत करार दिया है। सपा के राज्य प्रवक्ता सुनील सिंह ने कहाकि भिंड के अटेर उपचुनाव में ईवीएम की कथित सत्यता की पोल खुल चुकी है, बावजूद मध्यप्रदेश की ईवीएम का निकाय चुनाव में इस्तेमाल किया जाना अनुचित हथकंडे से चुनाव जीतने की कोशिश है। उन्होंने कहाकि विरोध के बावजूद साधारण ईवीएम का इस्तेमाल किया गया तो निर्वाचन आयोग की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध समझा जाएगा। इसी प्रकार कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहाकि मध्यप्रदेश की ईवीएम को लेकर पार्टी ने पहले ही आपत्ति जताई है। किसी भी ईवीएम को इस्तेमाल करने से पहले निर्वाचन आयोग को सभी दलों के सामने यह स्पष्ट करना होगा कि किसी किस्म की कोई गड़बड़ी नहीं है।

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