राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राआंे को गौरवपूर्ण अवसर प्रदान करता है जब ज्ञान की प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा होता है। दीक्षा का अंत हो सकता है परन्तु ज्ञानार्जन का मार्ग आजीवन खुला रहता है। बुलंदी पर पहुंचना ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इसको बनाये रखना महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के केन्द्र होते हैं। हमें विचार करना चाहिए कि उच्च शिक्षा की दिशा एवं उद्देश्य क्या हो। छात्र छात्राओं को उपाधि देकर यह काम पूरा नही हो सकता है बल्कि उच्च शिक्षा विकास का एक सशक्त माध्यम बने। उन्होंने कहा कि उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं को नवाचार के बारे में विचार करना होगा।
दीक्षांत समारोह के उपरान्त राज्यपाल ने सरस्वती बालिका विद्यालय सूरजकुण्ड में विद्यालय द्वारा संचालित भगिनी निवेदिता छात्रावास का लोकार्पण किया। राज्यपाल ने कहा कि गुरू-शिष्य परम्परा एक परिपाटी है जो बालक-बालिकाओं को श्रेष्ठ चरित्र निर्माण हेतु प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि संस्कारित शिक्षा ही छात्राओं को कुशल गृहणी एवं कुशल माँ के रूप में संतानों के जरिये अगली पीढ़ी को संस्कारवान बनाती है।