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जानिए कैसे गई एक ही परिवार के 8 लोगो की जान,सुनिए दर्द भरी दास्तान

locationलखनऊPublished: Jun 04, 2021 05:36:49 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

बहनें ससुराल से मां कमला देवी को देखने आईं थी

जानिए कैसे गई एक ही परिवार के 8 लोगो की जान,सुनिए दर्द भरी दास्तान

जानिए कैसे गई एक ही परिवार के 8 लोगो की जान,सुनिए दर्द भरी दास्तान

लखनऊ , राजधानी के इमलिया पूर्वा गांव में रहने वाले परिवार के लिए मानो कोरोना किसी काल के रूप में आया और सबकुछ उजाड़ कर चला गया। परिवार के किसी एक शख्स की मौत का गम झेलना कितना मुश्किल होता है। ऐसे में एक साथ पूरे परिवार को इस कोरोना ने तबाह कर दिया। इस परिवार के 8 लोग 25 अप्रैल से 15 मई के बीच कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे। फिर एक-एक कर मौत के मुंह में समाते चले गए। कोरोना की इस महामारी ने लोगों की जिंदगी बदलकर रख दी और कई परिवारों पर तो यह बीमारी कहर बनकर टूटी है।
यूपी की राजधानी लखनऊ में भी ऐसा ही एक परिवार है। जहां कोरोना ने महीने भर में 8 लोगों की जीवन लीला खत्म कर दी। इस परिवार में एक साथ 5 लोगों की तेरहवीं हुई। जिसे देखकर हर कोई गमगीन हो गया परिवार की 4 महिलाएं विधवा हो गईं और कई बच्चे यतीम हो गए हैं। सोमवार को एक साथ परिवार के 5 लोगों की 13वीं हुई और जिसने भी यह मातम देखा उसका दर्द आंसुओं में छलक पड़ा। परिवार के 7 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई। जबकि एक बुजुर्ग को हार्ट अटैक हुआ था पहले दाह संस्कार और अब तेरहवीं करने के बाद परिवार के मुखिया ओमकार सिंह यादव ने बताया कि कोरोना ने महज 25 दिनों में उनसे चार भाई, दो बहनें, मां और बड़ी अम्मा को छीन लिया। एक-एक दिन में दो-दो मिट्टियां उठाने वाले से आप क्या धैर्य की उम्मीद करेंगे। कि सभी लोगों को बुखार था।
फेफड़े चोक हो चुके थे। सबसे पहले एक भाई निरंकार यादव को भर्ती कराया चंद्रिका देवी मंदिर के पास स्थित राम सागर मिश्र अस्पताल में, क्योंकि वहीं पर ऑक्सीजन थी। इधर घर पर मां कमला देवी की हालत बिगड़ रही थी। मां का देहांत सुबह हुआ और भाई का दोपहर में तीन बजे। एक दिन में दो अर्थी घर से उठीं। इस बीच घर पर बहनों व बड़ी अम्मा की तबीयत बिगड़ने लगी थी। साथ ही तीन अन्य भाइयों की हालत भी नियंत्रण से बाहर हुई तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। बहनें ससुराल से मां कमला देवी को देखने आईं थी।
लेकिन उनकी भी तबीयत बिगड़ गई। ज्यादा बिगड़ने पर उनके पति आकर ले गए। ओमकार कहते हैं कि दो मौतों से हम संभल ही नहीं पाए थे कि एक-एक कर तीन और भाई विजय, विनोद और सत्य प्रकाश भी चले गए। उधर ससुराल पहुंची बहनों मिथिलेश व शैल कुमारी को अस्पताल में जगह नहीं मिली। उनके मरने की भी खबर आ गई। बड़ी अम्मा रूपरानी की भी हालत नाजुक होती गई और वो भी हमें छोड़ गईं।
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