परिजनों के अनुसार वह एक घंटे तक अस्पताल के बाहर गुहार लगाते रहे मिन्नते मांगते रहे लेकिन डॉक्टरों ने एक ना सुनी, नतीजन निर्मल ने एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया। निर्मल की सांसे रुकी तो परिजनाें की बेबसी और गुस्सा चीखों के रूप में बाहर आया। अस्पताल की गैलरी में रो रहे परिजनाें ने अपने रुदन से डॉक्टरों पर आरोप लगाए। चीखों में सुना गया कि डॉक्टरों ने निर्मल को मार डाला। अगर वो चाहते ते निर्मल को बच सकता था। यहां काेई सुनवाई नहीं हाे रही डॉक्टर किसी की नहीं सुनते।
निर्मल काे उसके परिजन एम्बूलेंस में लेकर अस्पताल पहुंचे थे लेकिन अस्पताल के साामने एम्बुलेंस खड़ी रही। सिस्टम के आगे परिजनाें की लाचारी और एम्बूलेंस में निर्मल की उखड़ती सांसे देखकर एम्बुलेंसकर्मी का भी धैर्य जवाब दे गया। एम्बुलेंसकर्मी ने 112 हेल्पलाइन पर फोन करके कहा कि जब अस्पताल में मरीजों को भर्ती ही नहीं किया जा रहा तो हमें यहां भेजते ही क्यों हो ? यह हालात सिर्फ एक एक अस्पताल या फिर यूपी की राजधानी का ही नहीं है बल्कि चारों ओर से इस तरह की तस्वीरें साने आ रही हैं।