हजरतगंज के अटल चौक से चार प्रमुख मार्ग जाते हैं। एक परिवर्तन चौक की ओर, दूसरा विधानसभा की ओर, तीसरा राजभवन की ओर और चौथा सिकंदराबाद की ओर। रविवार को सभी मार्गों पर सन्नाटा पसरा था। सिर्फ पुलिस और मीडियाकर्मी ही मौजूद थे। बीच-बीच में एक-दुक्का एम्बुलेंस की गाड़ियां गुजर रही थीं, लेकिन वह भी बिना सायरन के। मानो चुपचाप निकल जाना चाहती हों। हालांकि, ऐसा इसलिए था क्योंकि सड़कों पर सिर्फ सन्नाटा और सन्नाटा था।
चिकनकारी, मक्खन और लस्सी के लिए मशहूर चौक चौराहे पर आज पीने का पानी भी नहीं मिल रहा था। शहर के प्रमुख मार्गों पर लाइव के दौरान दोपहर दो बजे पत्रिका टीम को प्यास लगी तो चौराहे पर खुले मेडिकल स्टोर पर कर्मचारियों ने पीने का पानी मुहैया कराया। चौराहे पर पुलिस मुस्तैद थी। अनाउंस कर लोगों को भी घर न निकलने को आगाह किया जा रहा था। यहां इक्का-दुक्का लोग सड़कों पर निकल रहे थे, जो इमरजेंसी में जा रहे थे।
लखनऊ के सभी रेलवे स्टेशनों पर जनता कर्फ्यू का असर दिखा। चाहे वह चारबाग हो या लखनऊ स्टेशन, ऐशबाग हो या गोमतीनगर का स्टेशन। लखनऊ के सभी 16 रेलवे स्टेशनों का यही हाल रहा। रेल कर्मचारी, रेल पुलिस, कुली और कुछ यात्री जो रविवार सुबह लखनऊ पहुंचे और सवारी की तलाश में इधर-उधर तलाश करते रहे। थककर लोग पैदल ही घर की ओर कूच कर गये।
सीएए, एनआरसी और एनआरसी के विरोध में लखनऊ के घंटाघर में प्रदर्शनकारी महिलाओं ने जनता कर्फ्यू को नकार दिया। सरकार और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदर्शनकारी महिलाएं धरनास्थल पर जमी रहीं। शासन, प्रशासन और पुलिस की अपील का महिलाओं पर कोई फरक नहीं पड़ रहा है, वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।