भारत में लॉकडाउन होने की वजह से आफिस, होटल और अन्य दुकानें बंद हैं। इन तमाम जगहों और घरों में बड़ी संख्या में नेपाल मूल के लोग काम करते हैं। लॉकडाउन की स्थिति में करीब 181 लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से नेपाल बार्डर पहुंचे। लेकिन नेपाल की सीमा पर इन्हें रोक लिया गया। ऐसे में इन कामगारों के सामने भोजन और स्वास्थ्य सुरक्षा का संकट पैदा हो गया है। नेपाली कामगारों का कहना है कि हम नेपाल के नागरिक हैं। फिर भी नेपाल हमें अपने ही देश और घर क्यों नहीं जाने दे रहा। हमें भारत से क्या लेना-देना। नेपाल सरकार चाहे तो हमें अपने घरों में क्वॉरेंटाइन करवा दे। लेकिन हमें अपने वतन तो लौटने दे।
विरोध में उतरे नेपाली नेपाल के अडिय़ल रवैये के चलते पिछले कई दिनों से नेपाल सीमा पर नोमेंस लैंड पर करीब 181 नेपाली नागरिक फंसे हैं। नेपाल इन नागरिकों को किसी भी कीमत पर अपनी सीमा में घुसने देने के लिए तैयार नहीं है। जिसके चलते यह सभी नेपाली जबरिया भारत भेजने के विरोध में उतर आए हैं। नोमेंस लैंड पर यह सभी 3 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। और अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नेपाली सेना और पुलिस ने इनकी घेराबंदी कर रखी है। इन्हें आगे बढऩे नहीं दिया जा रहा है।
भारत-नेपाल के बीच वार्ता बेनतीजा
इस संवेदनशील मुद्दे पर भारत और नेपाल के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। यूपी के बहराइच के जिलाधिकारी शंभु कुमार और पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र, नेपाल की ओर से बांके जिला के जिलाधीश कुमार बहादुर खडक़ा, पुलिस अधीक्षक वीर बहादुर ओली के बीच वार्ता हुई। नेपाली अधिकारियों ने वार्ता के दौरान अपने यहां जगह न होने का हवाला देकर इन सभी को भारत में रहने का आग्रह किया। भारतीय अधिकारियों ने इन नेपालियों को सुरक्षित ठहराने का प्रस्ताव दिया।
इस संवेदनशील मुद्दे पर भारत और नेपाल के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। यूपी के बहराइच के जिलाधिकारी शंभु कुमार और पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र, नेपाल की ओर से बांके जिला के जिलाधीश कुमार बहादुर खडक़ा, पुलिस अधीक्षक वीर बहादुर ओली के बीच वार्ता हुई। नेपाली अधिकारियों ने वार्ता के दौरान अपने यहां जगह न होने का हवाला देकर इन सभी को भारत में रहने का आग्रह किया। भारतीय अधिकारियों ने इन नेपालियों को सुरक्षित ठहराने का प्रस्ताव दिया।
नेपाल जाने पर अड़े
नेपाली सुरक्षा बल के व्यवहार से आहत यह नेपाली नोमेंस लैंड पर बैठ गए हैं। इनमें बच्चे और महिलाएं भी हैं। इन सभी ने विरोध स्वरूप तीन दिनों से खाना भी नहीं खाया है। इन सबने भारत जाने से इनकार कर दिया। इन नागरिकों का कहना है कि वे नेपाली नागरिक हैं और किसी भी दशा में भारत नहीं जाएंगे।
नेपाली सुरक्षा बल के व्यवहार से आहत यह नेपाली नोमेंस लैंड पर बैठ गए हैं। इनमें बच्चे और महिलाएं भी हैं। इन सभी ने विरोध स्वरूप तीन दिनों से खाना भी नहीं खाया है। इन सबने भारत जाने से इनकार कर दिया। इन नागरिकों का कहना है कि वे नेपाली नागरिक हैं और किसी भी दशा में भारत नहीं जाएंगे।