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नशे में इस्तेमाल हो रही कफ सीरप, विदेशों तक फैला जाल, निशाने की जद में कई बड़े दवा कारोबारी

locationलखनऊPublished: Aug 28, 2022 12:05:20 pm

Submitted by:

Snigdha Singh

UP News: उत्तर प्रदेश में खांसी-जुकाम की दवाइयों को इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है। जांच पड़ताल में बड़ी हेर-फेर मिली।

Cough syrup being used intoxicated Supply foreign countries drug dealers in target of Enquiry

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उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों से कोडिन युक्त सीरप सहित अन्य नॉरकोटिक्स दवाओं का बाजार बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार कफ सीरप की ज्यादा बिक्री सर्दी के सीजन में होती है। लेकिन गर्मी के सीजन में अचानक से बिक्री बढ़ने से एफएसडीए सक्रिय हुआ। प्रदेश में करीब 50 करोड़ का यह कारोबार गर्मी और सर्दी में बराबर दिख रहा है। एफएसडीए ने पड़ताल की तो बिक्री से जुड़े दस्तावेजों में हेर-फेर मिला। एफएसडीए इन दवाओं की तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने में जुटा है। इसमें पुलिस और सशस्त्र सुरक्षा बल की भी मदद ली जा रही है।
पिछले दिनों आगरा में पकड़े गए दवा कारोबारी का नेटवर्क भी नेपाल बॉर्डर तक मिला है। इस पर एफएसडीए की टीम ने आगरा से नेपाल बॉर्डर तक के तार को जोड़ा तो कई चौकाने वाली जानाकरी मिली। सूत्र बताते हैं कि नॉरकोटिक्स दवाओं का प्रयोग इलाज से कहीं ज्यादा नशे में होने के सबूत मिले हैं। ऐसे में चिन्हित दवाएं बिना पर्चे के न देने के नियम का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। एफएसडीए ने सभी जिलों में दवा खरीद और बिक्री की पड़ताल शुरू कर दी है। हर दिन ड्रग इंस्पेक्टरों को प्रदेश मुख्यालय में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
इन जिलों के कारोबारी भी जद में
एफएसडीए को गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर के कई बड़े दवा कारोबारियों पर भी संदेह हैं। इन कारोबारियों द्वारा थोक में की जा रही दवाओं की आपूर्ति पर नजर रखी जा रही है। इनकी हर माह स्टॉक चेक करने के साथ ही जहां सप्लाई हुई है उन फुटकर विक्रेताओं की भी जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। शोक और फुटकर बिक्री के दस्तावेजों के मिलान से भी दवा कारोबारियों में खलबली है।
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इन दवाओं के प्रयोग पर पाबंदी, सप्लाई में सख्ती
कोडीनयुक्त सीरप, ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम, क्लोनाजेपॉम, डाइजापॉम, निट्राजेपॉम, पेंटाजोसिन, बूप्रेनारफिन आदि दवाएँ शामिल हैं। इन दवाएं की बिक्री के लिए कंपनी द्वारा आपूर्ति, थोक और फुटकर विक्रेता द्वारा आपूर्ति की मात्रा तय है। बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा देने पर पाबंदी है। ड्रग अथॉरिटी के अनुसार अब कोडीन आधारित कफ सीरप थोक में किसी कंपनी द्वारा 100 मिलीलीटर की शीशी 500 से अधिक न देने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह थोक विक्रेता 100 और फुटकर एक व्यक्ति को सिर्फ एक ही दे सकता है। इस तरह कुल 10 दवाएं चिन्हित कर उनके कंपनी के डिपो से सप्लाई, थोक, फुटकर बिक्री की सीमा निर्धारित कर दी गई है।
चलाया जा रहा जांच अभियान
उप आयुक्त ड्रग एफएसडीए एके जैन के अनुसार दवा के नाम पर नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए कुछ दवाओं के स्टॉक निर्धारित कर दिए गए हैं। हर जिले में टीम बनाकर जांच अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान कुछ व्यापारियों के खिलाफ शिकायत मिली हैं। उन्हें रडार पर रखा गया है। पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं। प्रदेश से विदेशों में फैले जाल को मिटाया जा रहा।

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