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इस तरह बढ़ा मौतों का आंकड़ा उत्तर प्रदेश में सभी मौतों में से केवल 63 प्रतिशत ही दर्ज की गईं। राज्य में मृत्यु पंजीकरण 2011 में लगभग 47 प्रतिशत से धीरे-धीरे बढ़कर 2019 में 63 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत 67 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया। केरल, तेलंगाना और दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों में कुल मौतों का 90 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया गया है। आंकड़ों के घटते बढ़ते क्रम संदेह पैदा कर रहे।
ऐसे किया जाता है जन्म-मृत्यु का सर्वेक्षण
भारत में जन्म और मृत्यु की वास्तविक संख्या का अनुमान एक अलग सर्वेक्षण-आधारित प्रक्रिया के माध्यम से लगाया जाता है, जिसे नमूना पंजीकरण प्रणाली या एसआरएस कहा जाता है। उदाहरण के लिए, 2019 में भारत में 83.01 लाख लोगों के मरने का अनुमान था, जिनमें से 92 प्रतिशत यानी 76.41 लाख मौतें सीआरएस में पंजीकृत हुईं। इससे आगे यानि 2020 के लिए एसआरएस डेटा उपलब्ध नहीं है। भारत का कुल मृत्यु पंजीकरण 2019 में 76.41 लाख से बढ़कर 2020 में 81.16 लाख हो गया।
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बीते 24 घंटों में जाने यूपी का हालपिछले 24 घंटे में पूरे प्रदेश में 179 नए केस की पुष्टि हुई, जिसमें, गौतमबुद्ध नगर में 56, गाजियाबाद में 37, लखनऊ में 21 नए केस शामिल हैं। इसी अवधि 231 लोग स्वस्थ भी हुए। जिन जिलों में केस अधिक मिल रहे हैं वहां सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क लगाया जाना अनिवार्य है। इसे लागू कराएं। लोगों को जागरूक करें। टेस्ट की संख्या बढ़ाये जाने की जरूरत है।