ऐसा नहीं है कि महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बंद हो गई हैं। इसके मुकाबले यूपी में महिलाओं पर ससुराल पक्ष का आतंक कुछ ज्यादा ही है। वैवाहिक हिंसा की शिकायत करने वाली महिलाओं की संख्या 1.53 लाख से ज्यादा है। इससे जाहिर है कि यूपी में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार अभी कम नहीं हुए हैं।
इसके विपरीत यूपी -100 पर एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए, पुलिस कंट्रोल रूम नं अपने एक साल पूरा होने पर जो आंकड़े पेश किए वे चौकाने वाले हंै। अधिकारियों ने पाया कि करीब 7 लाख शिकायतें घरेलू हिंसा की दर्ज हुई हैं। पुलिस सहायता की मांग करने के लिए यूपी -100 ने कुल 43 लाख आपातकालीन कॉल रिसीव किए गए। इसमें से ज्यादातर मामलों में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनो पक्षों के बीच समझौता कराया। स्थाई रूप से झगड़ों की घटनाएं भी बढ़ गई हैं।
पुलिस में दर्ज मामलों के विश्लेषण ने कुछ आश्चर्यजनक परिणाम उजागर किए हैं। यह देखा गया कि ग्रामीणों के मुकाबले शहरी इलाकों में घरेलू हिंसा की घटनाओं में अधिक वृद्धि हुई है। घरेलू हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायत लखनऊ से हुई थी, इसके बाद गोरखपुर, कानपुर, इलाहाबाद और आगरा आए थे। पुलिस के अनुसार, सबसे ज्यादा शिकायत गोरखपुर में गोरखपुर कोतवाली (शहर) में हुईं। गोरखपुर जिला भौगोलिक दृष्टि से 16 ग्रामीण और 10 शहरी पुलिस स्टेशनों में विभाजित है। वहां शहर में कम पुलिस थाने होने के बावजूद ज्यादातर शिकायतें शहरी इलाके से प्राप्त हुई हैं।
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार एनसीआर में, गाजियाबाद में लोनी पुलिस स्टेशन की सीमा के पास रहने वाली महिलाएं जयादा सुरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश -100 के अतिरिक्त महानिदेशक आदित्य मिश्रा ने कहा कि हम महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के बाद से पांच जिलों के पुलिस अफसरों के साथ शोध के निष्कर्षों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके लिए यह जानना दिलचस्प था कि 6,500 से ज्यादा पुरुषों ने अपनी पत्नी से दुश्मनी होने की शिकायत की है। मिश्रा ने बताया कि आईआईएम और अन्य विश्वविद्यालयों भी इस विषय पर अध्ययन करने पर विचार कर रहे हैं।