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Crime: हनीट्रैप में फंसा जवान, बंधक बनाकर पीटा गया, लाखों की वसूली, खुफिया साजिश की आशंका

Army Personnel Trapped in Honey Trap:  आगरा के एक सैन्यकर्मी को हनीट्रैप में फंसाकर बंधक बनाने, मारपीट करने और 8.69 लाख रुपये की ठगी का गंभीर मामला सामने आया है। पीड़ित के विभागीय आईडी की तस्वीर लिए जाने के बाद पुलिस को खुफिया जानकारी जुटाने की साजिश का शक है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 07, 2025

सैन्यकर्मी को हनीट्रैप में फंसाकर बंधक बना पीटा, 8.69 लाख की वसूली; खुफिया जानकारी जुटाने की आशंका से हड़कंप (फोटो सोर्स : Police Media Cell )

सैन्यकर्मी को हनीट्रैप में फंसाकर बंधक बना पीटा, 8.69 लाख की वसूली; खुफिया जानकारी जुटाने की आशंका से हड़कंप (फोटो सोर्स : Police Media Cell )

Crime Report: सेना से जुड़े एक जवान को हनीट्रैप में फंसाकर बंधक बनाने, मारपीट करने और लाखों रुपये की ठगी करने का मामला सामने आने से सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी और सेना की 509 आर्मी बेस वर्कशॉप में तैनात जवान केशव देव के साथ हुई इस घटना ने न सिर्फ पुलिस बल्कि खुफिया तंत्र की भी चिंता बढ़ा दी है। मामले में लखनऊ की पीजीआई थाना पुलिस के साथ-साथ क्राइम ब्रांच भी गहन जांच में जुट गई है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए से शुरू हुई बातें 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, आगरा के शमशाबाद रोड निवासी केशव देव की पहचान एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए हुई थी, जहां तीन महीने पहले उनका संपर्क नैंसी शर्मा नाम की युवती से हुआ। बातचीत का सिलसिला बढ़ता गया और आरोपी ने विश्वास का माहौल तैयार किया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह संपर्क टेलीग्राम एप के माध्यम से हुआ था। धीरे-धीरे आरोपी ने जवान को लखनऊ आने के लिए मनाया।

कमरे में बनाया बंधक,बनाया अश्लील वीडियो  

26 नवंबर को आरोपी युवती के बुलावे पर केशव देव लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र के तेलीबाग इलाके में पहुंचे। वहां पहले से मौजूद युवती के तीन अन्य साथी भी थे। आरोप है कि चारों ने मिलकर जवान को एक कमरे में बंधक बना लिया, उसके साथ मारपीट की और जबरन उसके मोबाइल फोन के माध्यम से बैंक खातों से 8.69 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए। इतना ही नहीं, आरोपियों ने केशव देव के पास मौजूद कीमती सामान भी छीन लिए। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने उसका आपत्तिजनक अवस्था में वीडियो भी बना लिया, ताकि भविष्य में उसे ब्लैकमेल किया जा सके। इसी वीडियो के माध्यम से आरोपी उससे 40 लाख रुपये की अतिरिक्त रकम की मांग कर रहे थे और शिकायत करने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे थे।

सेना की गोपनीय सूचनाएं लेने की आशंका 

इस पूरे मामले ने तब और गंभीर रूप ले लिया, जब पुलिस को पता चला कि आरोपियों ने पीड़ित के आधार कार्ड के साथ-साथ विभागीय पहचान पत्र (आईडी कार्ड) की भी फोटो खींची थी। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि इसके पीछे सेना से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं हासिल करने की साजिश भी हो सकती है। इसी पहलू को ध्यान में रखते हुए अब मामले की जांच खुफिया एंगल से भी की जा रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अगर केवल धन की वसूली ही मकसद होता, तो विभागीय आईडी की फोटो खींचने का कोई तर्क नहीं बनता। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि आरोपियों का उद्देश्य सेना की तैनाती, यूनिट संबंधी जानकारी या अन्य संवेदनशील सूचनाएं हासिल करना हो सकता है। इस बिंदु पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।

पीजीआई पुलिस ने शुरू की जांच 

पीजीआई थाने के इंस्पेक्टर धीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित से आरोपियों के बैंक खातों के विवरण मांगे गए हैं, ताकि ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सके। हालांकि अभी तक पीड़ित की ओर से पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। वहीं, जिन मोबाइल नंबरों से आरोपी संपर्क में थे, वे सभी फिलहाल स्विच ऑफ आ रहे हैं, जिससे आरोपियों की लोकेशन ट्रेस करने में दिक्कतें आ रही हैं। पुलिस टीमों ने उस स्थान और आसपास के इलाके के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच शुरू कर दी है, जहां पीड़ित को बुलाया गया था। इन फुटेज के जरिए आरोपियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। वहीं क्राइम ब्रांच को भी कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिसके आधार पर आगे कार्रवाई की जा रही है।

सेना के जवानों को सोशल मीडिया के माध्यम से फसाने  की कोशिश 

सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जवानों को सोशल मीडिया के माध्यम से इस तरह फंसाना अब एक नया खतरा बनता जा रहा है। कई बार जवान भावनात्मक या व्यक्तिगत स्तर पर बातों में आ जाते हैं और इसी का फायदा उठाकर गिरोह सक्रिय हो जाते हैं। इस घटना के बाद सेना प्रशासन भी अपने कर्मचारियों को सतर्क करने की दिशा में कदम उठा सकता है।

पुलिस डाल रही दबिश 

फिलहाल पुलिस की प्राथमिकता आरोपियों की गिरफ्तारी है। पीड़ित जवान को सुरक्षा और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने की बात भी कही गई है। पुलिस टीमों द्वारा लगातार दबिश दी जा रही है और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। यह मामला केवल एक आर्थिक ठगी का नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़े संभावित खतरे का भी संकेत देता है। यही कारण है कि पुलिस और अन्य एजेंसियां मामले को बेहद गंभीरता से ले रही हैं और हर एंगल से जांच आगे बढ़ा रही हैं।