देरी से मिलता है बजट इस साल शुरू होने जा रहे पौधारोपण अभियान की तैयारी वन विभाग ने शुरू कर दी है। वन विभाग ने पूरे प्रदेश में 9 करोड़ से अधिक पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। इनमें से लगभग दो तिहाई पौधे जन सहयोग व सरकारी विभागों की मदद से रोपे जायेंगे जबकि एक तिहाई पौधे खुद वन विभाग रोपेगा। इन पौधों को रोपने के बाद वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती इनका संरक्षण है। कई बार पानी न मिल पाने के कारण तो कई बार सुरक्षा और निगरानी के अभाव में ये पौधे सूख जाते हैं। पौधों के सूखने से वन विभाग की कार्यशैली और मंशा दोनों पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं। पड़ताल में यह बात सामने आती है कि कई बार वन विभाग पौधों की सुरक्षा के लिए जारी किया जाने वाला बजट देरी से जारी करता है और इस कारण पौधों का रखरखाव नहीं हो पाता।
बजट समय से जारी कराने का प्रयास बजट के अभाव में हर साल बड़ी संख्या में पौधारोपण के बाद पौधे सूख जाते रहे हैं। इस बार जुलाई महीने से शुरू होने जा रहे पौधारोपण में वन विभाग की यह कोशिश होगी कि पौधों को रोपने के बाद उनके संरक्षण और रख रखाव का प्रस्तावित बजट भी सरकार को साथ में भेजा दिया जाये जिससे बजट समय से जारी हो जाये और पौधों के संरक्षण में मदद मिल सके। वन विभाग के लखनऊ मंडल के मुख्य वन संरक्षक के प्रवीण राव कहते हैं कि कई बार बजट की कमी पौधों के संरक्षण में बाधा बनती है। इस बार इस तरह से योजना का प्रस्ताव तैयार किया गया है जिससे समय से बजट मिल जाए और बजट के अभाव में पौधों को सूखने से बचाया जा सके।