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Handwara Attack : भाई ने सैल्यूट कर दी अंतिम विदाई, पत्नी ने कहा- गर्व है

locationलखनऊPublished: May 06, 2020 05:03:17 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– शहादत को नमन- पिता के बाद घर के एकमात्र कमाऊ सपूत थे अश्वनी कुमार यादव- गांववालों में भरते थे देशभक्ति का जज्बा- हंदवाड़ा आतंकी हमले में हुए शहीद

Handwara Attack : भाई ने सैल्यूट कर दी अंतिम विदाई, पत्नी ने कहा- गर्व है

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहीद के परिजनों 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है।

आलोक कुमार त्रिपाठी
गाजीपुर. तिरंगे में लिपटा शहीद अश्वनी कुमार यादव का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव में पहुंचा, गर्व और शोक के कारण लोगों के आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मुखाग्नि देते ही छोटा भाई फफक-फफक कर रो पड़ा और भैया को आखिरी बार सैल्यूट किया। वीरागंना अंशू यादव की रोते-रोते आंखें सूज सी गई हैं, लेकिन उन्हें पत्नी की शहादत पर गर्व भी है। छोटी बेटी अंशु जो अभी 6 साल की होने को है, जिसे अश्वनी ने इस बार जन्मदिन पर साइकिल दिलाने का वादा किया था। छोटा बेटा चार साल का है, जिसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। रोती मां को देख शायद उनको भी समझ में आ गया कि कुछ अनहोनी हो गई है। दोनों मासूम चाचा की गोद में कभी रो रहे हैं तो कभी सूनी आंखों से लोगों को निहार रहे हैं। बुजुर्ग मां की आंखों में आंसू मानो आंसू सूख से गये हैं। अश्वनी की पत्नी अंशु ने रोते-रोते बताया कि शाम 7:30 बजे उन्होंने अंतिम बार बात की थी। कहा था कि अभी मेरी ड्यूटी ऑफ हो गई है और बेस पर जाकर तुमसे बात करूंगा और आठ बजे उन्हें यह मनहूस खबर मिली। गांव ही नहीं प्रदेश के लोग दुखी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद के परिजनों 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है।
Handwara Attack : भाई ने सैल्यूट कर दी अंतिम विदाई, पत्नी ने कहा- गर्व है
अश्वनी अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सुपुत्र थे। उनके पास थोड़ी सी पैतृक जमीन है, जिसमें बमुश्किल 2 जून का अनाज हो पाता है। अश्वनी अभी बीते 29 फरवरी को दो महीने की छुट्टी बिताकर गए थे और अपनी बेटी से वायदा करके गए थे कि आऊंगा तो साइकिल दिलाऊंगा। पूछने पर बेटी पापा की उसी बात को दोहरा रही है। रोते-रोते पत्नी अंशु ने भी बताया कि मेरी बिटिया को वह डॉक्टर बनाने की ख्वाहिश लिए हुए चले गए। गांव के दोस्तों ने बताया कि अश्वनी बहुत ही मिलनसार हंसमुख और स्पोर्ट्समैन प्रवृत्ति के थे। वह बातों बातों में कहते थे कि बेटी को डॉक्टर बनाऊंगा और बेटे को फौज में भेजूंगा। गांव के लड़कों में भी खूब जोश भरते थे कि फोर्स में भर्ती की तैयारी करो और इज्जत से जीना सीखो। नम आंखों से अंतिम विदाई के वक्त लोगों ने कहा कि देश और क्षेत्र जनता उनकी इस शहादत के लिए हमेशा याद रखेगी।
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