इसलिए 1400 करोड़ डूबे अमेरिका में मंदी की आशंका ने सबसे ज्यादा क्रिप्टो बाजार को हिलाया। फिर भारत सहित अधिकांश बड़े देशों द्वारा क्रिप्टो को मान्यता न देने के स्पष्ट एलान ने आग में घी का काम किया। रही सही कसर सोना-चांदी में बढ़ते निवेश और रीयल इस्टेट की सुधरती हालत ने पूरी कर दी। क्रिप्टो बाजार में पिछले कुछ समय से एक नई करेंसी टेरा लूना छाई थी। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज छह महीने में ये करेंसी 7100 रुपये की हो गई। इसके बारे में फैलाया गया कि केवल एक अरब टेरा लूना क्वाइन ही जनरेट होंगे। सीमित करेंसी की अफवाह से इसमें निवेश करने वालों की संख्या तीन महीने में राकेट की रफ्तार से भागी। अकेले कानपुर में इसके निवेशकों की संख्या 135 से बढ़कर 2100 पहुंच गई। अफवाहों का भ्रमजाल फूटा और एक अरब के बजाय 650 अरब टेरा लूना बाजार में आ गईं। नतीजा ये हुआ कि आज कीमत 7100 रुपये से सीधे 4 पैसे पर आ गिरी है। अकेले टेरा लूना ने ही यहां के निवेशकों के 1400 करोड़ खा लिए।
यह भी पढ़े – 2 गरीब, एक स्वीपर और एक बनाता पंक्चर, कैसे बन गए करोडपति अधिकांश करेंसी के दाम 80 फीसदी नीचे हाल ये हो गया है कि सोने की गिन्नी से भी ज्यादा भरोसेमंद मानी जानी वाली आभासी मुद्रा बिटक्वाइट के दाम 30 फीसदी लुढ़क चुके हैं। डॉजक्वाइन सहित 26 बड़ी क्रिप्टो करेंसी की कीमतें 80 फीसदी तक घट गई हैं। 1300 करोड़ से ज्यादा की रकम लोगों की डूब चुकी है। कानपुर के 19 बड़े निवेशकों के ही अकेले 42 करोड़ रुपय इस सुनामी में बह गए। वर्ष 2020 के पहले लॉकडाउन के बाद क्रिप्टो बाजार से जुड़े 9000 से ज्यादा निवेशकों की हालत भी इस मंदी ने खराब कर दी है।
7 हजार की करेंसी 4 पैसे में क्रिप्टो मार्केट एक्सपर्ट प्रशांत अग्रवाल मंदी की आशंका की वजह से क्रिप्टो बाजार में पहली गिरावट आई। फिर अलग-अलग कारणों से क्रिप्टो बाजार गिरता गया। सबसे ज्यादा नुकसान टेरा लूना करेंसी ने दिया है। 7000 रुपए वाली करेंसी आज महज 4 पैसे की रह गई। बिटक्वाइन को छोड़कर लगभग करेंसी के दाम 80 फीसदी तक नीचे आ गए हैं। क्रिप्टो बाजार में निवेश कर सकते हैं लेकिन एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही पैसा लगाएं। रातोंरात दोगुने के लालच में न पड़ें।