पशुपालन विभाग में नियम पशुपालन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव डी. एस. मिश्रा ने इस संबंध में पशुपालन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर 18 मार्च को होने वाली अगली बैठक में अपनी परियोजना रिपोर्ट पेश करने को कहा, जिसके बाद नई सरकार नीति बनाएगी। बैठक में प्रारंभिक चर्चा के अनुसार 15 से अधिक गोजातीय पशुओं वाले सभी डेयरी फार्मों को रिहायशी इलाकों से बाहर ले जाया जाएगा।
बड़े फार्मो को स्वयं या उद्यमियों या गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से बायोगैस/कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि गोजातीय गोबर से सीएनजी का उत्पादन किया जा सके और उसे स्थानीय लोगों को बेचा जा सके। अधिकारी ने कहा, "छोटे डेयरी फार्मों को डंग वुड, फूलदान, वर्मी कम्पोस्टिंग आदि बनाने के लिए मशीनीकृत इकाइयां स्थापित करने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा 15 से कम गोजातीय पशुओं वाले परिसरों को 'डेयरी' के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा।" उन्होंने कहा कि सभी डेयरी फार्मों को पानी की बर्बादी रोकने के लिए भी निर्देशित किया जाएगा। स्थानीय निकाय/निगम/एसपीसीबी (राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) यह सुनिश्चित करेंगे कि अशोधित कचरा (अनट्रिटिड वेस्ट) परिसर के बाहर न बहाया जाए।
गोवंश की आबादी करीब 5.20 करोड़ उत्तर प्रदेश में गोवंश की आबादी करीब 5.20 करोड़ बताई गई है। अधिकारी ने कहा, "डेयरी फार्मों और गौशालाओं में गोजातीय गोबर का निपटान सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, गोजातीय गोबर अगर प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है, तो खाद और ऊर्जा का संसाधन या रिसोर्स हो सकता है।" उन्होंने कहा, "बायोगैस में सीएनजी के समान कैलोरी मान (कैलोरिफिक वैल्यू) और अन्य गुण होते हैं। इसलिए, इसे ऑटोमोटिव, औद्योगिक और वाणिज्यिक में सीएनजी के प्रतिस्थापन के रूप में हरित नवीकरणीय ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है।"