इसे भी पढ़े: लखनऊ पार्क अब बना पबजी का नया अड्डा फिर उनको हरदोई रोड स्थित एक निजी अस्पताल में ले जाया गया और वहां से केजीएमयू रेफर कर दिया गया। वहां पर शनिवार को उनकी मौत हो गई। उनके बड़े भाई हृदय प्रकाश ने कहा कि प्रदीप अक्सर अंगदान के बारे में बात करते थे, इसलिए उन्होंने डॉक्टरों को सूचित किया और अपनी सहमति दे दी। उन्होंने कहा भाई की मौत से हमारी परिवार काफी सदमे में है, लेकिन हम अपने भाई की मानवता की सेवा करने की इच्छा को पूरा करने के लिए सहमत हुए। हमें विश्वास है कि वह अमर हो गया है। परिवार की सहमति के बाद मृतक के अंगों ने तीन लोगों को जीवन दिया। साथ ही उनकी आंखों को दो प्राप्तकर्ताओं को प्रतिरोपित किया जा रहा है।
इसे भी पढ़े: लखनऊ की राजनीति में अब 'गमछा' बीते दिनों की बात, टोपी की अहमियत बढ़ी इंसानियत अभी भी जिन्दा हैं कहते हैं की ईश्वर हर किसी के अंदर होता हैं बस उसको पहचानने की जरूरत होती हैं। राजधानी में एक की हुई मौत ने तीन लोगो को जीवन दिया हैं जिसकी चर्चा पुरे राजधानी में हो रही हैं। अगर थोड़ी सी सावधानी और होशियारी से हम कईयों को जीवन दान दे सकते हैं एक अंग दान से जो सही मायने में खुशिया देता हैं।