जबतक डेंगू पुष्ट होता तबतक हालात बिगड़ चुके थे
फिरोजाबाद में अलाइजा टेस्ट न होने के कारण समय से डेंगू की पुष्टि नहीं हो सकी। जो मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंचे उनका केवल रैपिड एंटीजेन टेस्ट हुआ। जबकि, डेंगू प्रोटोकॉल में जबतक अलाइजा टेस्ट में डेंगू की पुष्टि नहीं होती तबतक उसे डेंगू मरीज नहीं माना जाता। जब तक अलाइजा टेस्ट का इंतजाम हुआ स्थितियां बिगड़ चुकी थीं। फिरोजाबाद के कई इलाकों में मौत होने लगी थी। स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम के अनुसार ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था कि यह डेंगू है। शुरुआती दौर में ही डेंगू पुष्ट हो जाता तो रोकथाम हो सकती थी।
फिरोजाबाद में अलाइजा टेस्ट न होने के कारण समय से डेंगू की पुष्टि नहीं हो सकी। जो मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंचे उनका केवल रैपिड एंटीजेन टेस्ट हुआ। जबकि, डेंगू प्रोटोकॉल में जबतक अलाइजा टेस्ट में डेंगू की पुष्टि नहीं होती तबतक उसे डेंगू मरीज नहीं माना जाता। जब तक अलाइजा टेस्ट का इंतजाम हुआ स्थितियां बिगड़ चुकी थीं। फिरोजाबाद के कई इलाकों में मौत होने लगी थी। स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम के अनुसार ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था कि यह डेंगू है। शुरुआती दौर में ही डेंगू पुष्ट हो जाता तो रोकथाम हो सकती थी।
लखनऊ में बढ़ी प्लेटलेट्स की खपत बढ़ी
राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में अचानक 10 से 15 प्रतिशत प्लेटलेट्स की खपत बढ़ गई है। केजीएमयू में सामान्य दिनों में 60 से 70 यूनिट प्लेटलेट्स की खपत होती है। एक सप्ताह से प्लेटलेट्स की मांग 100 यूनिट के पार पहुंच गई है। बलरामपुर, लोहिया व सिविल समेत दूसरे ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की मांग में आंशिक वृद्धि हुई है। केजीएमयू ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक फिरोजाबाद से प्लेटलेट्स की मांग आई है।
राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में अचानक 10 से 15 प्रतिशत प्लेटलेट्स की खपत बढ़ गई है। केजीएमयू में सामान्य दिनों में 60 से 70 यूनिट प्लेटलेट्स की खपत होती है। एक सप्ताह से प्लेटलेट्स की मांग 100 यूनिट के पार पहुंच गई है। बलरामपुर, लोहिया व सिविल समेत दूसरे ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की मांग में आंशिक वृद्धि हुई है। केजीएमयू ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक फिरोजाबाद से प्लेटलेट्स की मांग आई है।
सभी को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं
डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक प्लेटलेट्स की उम्र पांच दिन रहती है। फिर प्लेटलेट्स खराब हो जाता है। जिन मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार से कम हो या फिर रक्तस्राव हो रहा हो उन्हें प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है।
डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक प्लेटलेट्स की उम्र पांच दिन रहती है। फिर प्लेटलेट्स खराब हो जाता है। जिन मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार से कम हो या फिर रक्तस्राव हो रहा हो उन्हें प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है।
डेंगू तेजी से पसार रहा है पांव
फिरोजाबाद और मथुरा के बाद मैनपुरी, फर्रुखाबाद और लखनऊ में भी डेंगू के मामले बढ़े हैं। हालांकि, डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह ने बताया कि मौत के आंकड़ों में कमी आई है। जबकि, फिरोजाबाद के सीएमओ दिनेश कुमार प्रेमी ने बताया कि अबतक जिले में 598 लोग डेंगू संक्रमित पाए गए हैं।
फिरोजाबाद और मथुरा के बाद मैनपुरी, फर्रुखाबाद और लखनऊ में भी डेंगू के मामले बढ़े हैं। हालांकि, डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह ने बताया कि मौत के आंकड़ों में कमी आई है। जबकि, फिरोजाबाद के सीएमओ दिनेश कुमार प्रेमी ने बताया कि अबतक जिले में 598 लोग डेंगू संक्रमित पाए गए हैं।
बुखार के कारण अनेक
हर जिले में स्वास्थ्य अधिकारी बुखार के अलग-अलग कारण बता रहे हैं। कहीं डेंगू कहीं स्क्रब टाइफस तो कहीं लेक्टोस्पाइरोसिस जैसी बीमारी बताई जा रही है। हालांकि, यह सभी बीमारियां मच्छरजनित बीमारियां ही हैं। डेंगू और वायरल बुखार दोनों ही मामलों में प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं। वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अधिकारियों के मुताबिक, यह डेंगू का खतरनाक वेरिएंट है जिसकी वजह से प्लेटलेट्स तेजी से गिर रही हैं।
हर जिले में स्वास्थ्य अधिकारी बुखार के अलग-अलग कारण बता रहे हैं। कहीं डेंगू कहीं स्क्रब टाइफस तो कहीं लेक्टोस्पाइरोसिस जैसी बीमारी बताई जा रही है। हालांकि, यह सभी बीमारियां मच्छरजनित बीमारियां ही हैं। डेंगू और वायरल बुखार दोनों ही मामलों में प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं। वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अधिकारियों के मुताबिक, यह डेंगू का खतरनाक वेरिएंट है जिसकी वजह से प्लेटलेट्स तेजी से गिर रही हैं।
सरकार ने माना अब 500 डेंगू के मामले
उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक (डेंगू) विकास सिंघल के अनुसार प्रदेश में इस साल जनवरी से लेकर 3 सितंबर तक 497 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे ज्यादा मथुरा में 107 मामले, फिर लखनऊ में 84, वाराणसी में 69 और फिरोजाबाद में 49 मामले दर्ज हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक (डेंगू) विकास सिंघल के अनुसार प्रदेश में इस साल जनवरी से लेकर 3 सितंबर तक 497 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे ज्यादा मथुरा में 107 मामले, फिर लखनऊ में 84, वाराणसी में 69 और फिरोजाबाद में 49 मामले दर्ज हुए हैं।
हर दो-तीन साल में बढ़ता है डेंगू
डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू ऐसी बीमारी है जो हर दो तीन साल में बढ़ती है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कम्यूनिटी मेडिसिन एवं पब्लिक हेल्थ विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. जमाल मसूद के अनुसार 2019 में यूपी में डेंगू के मामले ज्यादा आए थे। 2020 में जनवरी से 29 सितंबर तक डेंगू के 166 मामले आए थे, जबकि 2021 जनवरी से 3 सितंबर के बीच ही 497 मामले आ गए।
डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू ऐसी बीमारी है जो हर दो तीन साल में बढ़ती है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कम्यूनिटी मेडिसिन एवं पब्लिक हेल्थ विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. जमाल मसूद के अनुसार 2019 में यूपी में डेंगू के मामले ज्यादा आए थे। 2020 में जनवरी से 29 सितंबर तक डेंगू के 166 मामले आए थे, जबकि 2021 जनवरी से 3 सितंबर के बीच ही 497 मामले आ गए।
भारत में डेंगू का प्रकोप
भारत में भी डेंगू के हर साल एक लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं। डेंगू के 2016 में 1.29 लाख, 2017 में 1.88 लाख और 2018 में 1.01 लाख मामले दर्ज किए गए। 2019 के अक्टूबर तक देश में डेंगू के 91,457 मामले दर्ज किए गए थे।
भारत में भी डेंगू के हर साल एक लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं। डेंगू के 2016 में 1.29 लाख, 2017 में 1.88 लाख और 2018 में 1.01 लाख मामले दर्ज किए गए। 2019 के अक्टूबर तक देश में डेंगू के 91,457 मामले दर्ज किए गए थे।