इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह साबित किए जाने कि कोशिश की जा रही है कि जमीन पहले हिन्दू पक्षकारों के अधिकार में थी और वहीं इस जमीन का संरक्षण करते हुए चले आ रहे हैं। यह मानकर अदालत को विश्वास दिलाया जाता रहा है जो कि उचित नहीं है।
अयोध्या में निर्मोही अखाड़ा ने जो गैरकानूनी कब्जा चबूतरे पर किया है और बाहरी आंगन में राम चबूतरे पर 1855 से पूजा करते चले आ रहे है। उस पर मजिस्ट्रेट ने नोटिस जारी कर दिया है, जिसके बाद से न्यायिक समीक्षा शुरू हुई और एक नोटिस ऐसा था जोकि गलत दावा था, उसके चलते 11 सितम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।