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चीन की घेराबंदी में यूं कामयाब हुआ भारत, अब तिब्बत और अरुणाचल को लेकर जानिए क्या होगा

locationलखनऊPublished: Feb 06, 2020 05:37:59 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– दुनिया के छह देशों के साथ भारत ने क्या बनाई रणनीति- यूपी में साझेदार बनेंगे भारत के छह नए-पुराने दोस्त- इजराइल, रूस, फ्रांस, स्वीडन, दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिका भी निवेश को तैयार- 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश संभावित, तीन लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

चीन की घेराबंदी में यूं कामयाब हुआ भारत, अब तिब्बत और अरुणाचल को लेकर जानिए क्या होगा

चीन की घेराबंदी में यूं कामयाब हुआ भारत, अब तिब्बत और अरुणाचल को लेकर जानिए क्या होगा

लखनऊ. रोड मैप तैयार है। यूपी के डिफेंस कॉरिडोर में छह बड़े हथियार निर्यातक देश निवेश करने को रजामंद हैं। साझेदारों की उम्मीदों के मुताबिक नियम-कानूनों की दिक्कतों को दूर किया गया तो इजराइल और रूस जैसे भारत के पुराने दोस्तों के साथ-साथ फ्रांस, स्वीडन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका भी मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत यूपी के डिफेंस कॉरिडोर में अगले साल ही निवेश करेगा। डिफेंस एक्सपो 2020 में निवेश के लिए 23 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर होने तय हैं। सरकारी दावा है कि करीब 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है, जिसके जरिए तीन लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
दिग्गज कंपनियों न निवेश की संभावनाएं टटोलीं
यूं तो डिफेंस एक्सपो-2020 का न्योता मिलते ही छह देशों ने सामरिक सामग्री निर्माण क्षेत्र में भारत में निवेश का वादा किया है। फ्रांस और रूस की साझेदारी से फिलवक्त देश में कुछ एयरक्राफ्ट और मिसाइल तकनीकी पर शोध भी जारी है। नए दौर में उपर्युक्त दोस्त देशों के अतिरिक्त स्वीडन, इजराइल, दक्षिण कोरिया और अमेरिका भी यूपी के डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए रजामंद हैं। जर्मनी, कनाडा और ब्रिटेन ने भी दिलचस्पी दिखाई है। इसी कारण डिफेंस एक्सपो में लॉकहिड मॉर्टिन (अमेरिका), साब (स्वीडन), बोइंग (अमेरिका), रोहड एंड श्वार्ज (जर्मनी), रोसोबोरन एक्सपोर्ट्स (रूस), एयरबस (फ्रांस), दसां एविएशन (फ्रांस), यूनाइटेड एयरक्राफ्ट (रूस), सिबत (इजरायल), मैगलन एयरोस्पेस (कनाडा) और बीएई सिस्टम्स (यूनाइटेड किंगडम) जैसी दिग्गज कंपनियों की डिफेंस एक्सपो में उपस्थिति नजर आई है।
नियम-कायदों के झंझट से मुक्ति चाहते हैं विदेशी साझेदार
भारत में निवेश करेंगे, लेकिन नियम-कायदों के भंवर में नहीं फंसेंगे। इसी शर्त के साथ अमेरिका के राजदूत केनेथ आई.जस्टर ने कहा है कि उनका देश भारत के साथ मौजूदा रक्षा कारोबार में कई गुना की वृद्धि चाहता है, लेकिन सस्ते के बजाय टिकाऊ रक्षा उत्पादों को तरजीह मिलनी चाहिए। साथ ही किसी भी देश में नियम बढ़ाने के लिए जरूरी है कि रुकावट वाले नियम-कायदे कम से कम होने चाहिए। जस्टर ने कहा कि दोनों देशों के उद्योगों के बीच प्रगाढ़ रिश्तों के बीच यह भी जरूरी है कि जो बाधाएं हैं, वे दूर होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर रक्षा सौदों में ऑफसेट दायित्व का भारत में यह नियम है, जिसे दुनिया की दिग्गज कंपनियां पंसद नहीं करती हैं। ऑफसेट दायित्व के तहत कंपनियां खुद निर्णय लेती हैं। इसमें हमारी सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। उन्होंने ऑफसेट दायित्व के तहत निवेश करने की कैपिंग जितनी कम होगी, उतना ही ज्यादा निवेश आएगा। ज्यादा निवेश आने के लिए नियम-कायदे कम से कम होना चाहिए। इसी तरह भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनाइन ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की फ्रांसीसी कंपनियां उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में निवेश करने को उत्सुक हैं। फ्रांस यूं भी भारत का सबसे पुराना रक्षा सहयोगी है। भारत के साथ मिलकर फ्रांस पनडुब्बी और मिसाइल बनाना चाहता है, लेकिन सरकार को नियम-कायदे सरल बनाने होंगे।
एक्सप्रेस-वे और एयरपोर्ट से रक्षा उत्पादन में मिलेगी मदद
भौगोलिक नजरिये से देखा जाए तो बेहतर कनेक्टिविटी के कारण उत्तर प्रदेश निवेश का एक बेहतर विकल्प होगा। यूपी में एक्सप्रेस-वे का बड़ा नेटवर्क है। यमुना और आगरा एक्सप्रेस-वे के बाद पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर काम जारी है। इस साल के अंत तक पूर्वांचल एकसप्रेस-वे भी बन जाएगा। उम्मीद है कि वर्ष 2021 में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे भी तैयार हो जाएगा। इसके अलावा यूपी के सभी बड़े और महत्वपूर्ण शहरों से एयर कनेक्टिविटी भी है, जिसे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने एचएएल से हल्के विमानों की खरीद का करार भी किया है।
डिफेंस कॉरिडोर के लिए 25 हजार एकड़ लैंडबैंक मौजूद
यूपी सरकार का दावा है कि डिफेंस कॉरिडोर में देशी-विदेशी साझेदारों को बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाकि 25 हजार एकड़ लैंडबैंक के साथ प्रदेश में डिफेंस कारीडोर का काम शुरू हो गया है। यूपी के लिहाज से यह आयोजन इसलिए अहम है, क्योंकि बुंदेलखंड में डिफेंस कॉरिडोर विकसित करने का काम तेजी पर है। योगी सरकार 50 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्तावों की उम्मीद कर रही है। फिलहाल 17 देशी-विदेशी कंपनियों के साथ 23 एमओयू तय हो चुके हैं। डिफेंस एक्सपो कामयाब हुआ तो यूपी में तीन लाख नौजवानों को रोजगार भी मिलेगा।

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