कोविड-19 के पहले, आयुर्वेदिक बाजार में आमतौर पर सालाना 15-20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। पिछली तिमाही में कई बड़ी और छोटी कंपनियों ने 50-90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। आयुर्वेद को समग्र, प्राकृतिक स्वास्थ सेवा के रूप में अपनाने से बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पिछली मार्च से, आयुर्वेदिक दुकानों पर शहद की मांग में 40 प्रतिशत, च्यवनप्राश में 85 प्रतिशत और हल्दी में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इन उत्पादों में लोगों की रूचि आयुष मंत्रालय के उन सुझावों से बढ़ी है, जिसमें कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इन उत्पादों के सेवन की बात कही गई है।
महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष आनंद श्रीवास्तव कहते हैं। निश्चित रूप से, हम आयुर्वेदिक रसायनों से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले विभिन्न आयुर्वेदिक उत्पादों की लगातार बढ़ती मांग को देख रहे हैं। हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने भी यह कहा है कि जनसंख्या बहुत अधिक होने के बावजूद हमारे देश में कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में है, क्योंकि हर घऱ में प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली चीजों जैसे हल्दी, दूध, अश्वगंधा, जड़ी-बूटियों, काढ़ा आदि का सेवन किया जा रहा है। और पिछली कुछ तिमाहियों में हमने भी देखा है कि विभिन्न आयुर्वेदिक उत्पादों जैसे महर्षि अमृत कलश और आयुर डिफेंस (आयुर रक्षा) की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2020 की तुलना में महर्षि अमृत कलश की बिक्री 26 प्रतिशत बढ़ी है।
बाजार अनुसंधान कंपनी, नीलसन की जुलाई माह की रिपोर्ट बताती है कि जून की तुलना में जुलाई में च्यवनप्राश की बिक्री 283 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि ब्रांडेड शहद की बिक्री में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। च्यवनप्राश और हर्बल चाय जो प्रतिरक्षा में सुधार करने वाले माने जाते हैं, उनकी बिक्री में महीने दर महीने 17-18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। उत्तर भारत में, जनवरी और फरवरी के महीने में इन उत्पादों की बिक्री बहुत अधिक रही है। ‘गुडुची’ की बिक्री भी तीन गुना बढ़ गई है। दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे उत्तरी राज्यों में मांग बढ़ रही है।
कोविड-19 महामारी के प्रसार के कारण उपभोक्ताओं की रूचि और जागरूकता आयुर्वेदिक चिकित्सा और दवाईयों के प्रति काफी बढ़ी है, जिसका परिणाम इन उत्पादों की मांग बढ़ने के रूप में सामने आया है। रोग निरोधी स्वास्थ्य उपचारों, विशेषरूप से प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पादों के प्रति लोगों का झुकाव/रूझान अधिक हुआ है।
कोविड-19 के दौरान या बाद में आयुर्वेदिक उत्पादों की बढ़ती मांग के बारे में बताते हुए महर्षि आयुर्वेद अस्पताल के अस्पताल अधीक्षक डॉ. सौरभ शर्मा ने कहा वास्तव में, अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी ने अच्छे स्वास्थ्य और शक्तिशाली प्रतिरक्षा तंत्र के महत्व के बारे में विश्व की आंखें खोल दी हैं। प्रभावी और उपचारात्मक दवाएं ऐसे आक्रामक वायरस से लड़ने के लिए अपरिहार्य हैं, लेकिन सबसे अच्छा बचाव हमारे शरीर के भीतर है।
जो अब मजबूत सबूत के साथ प्रमाणित हो रहा है। शायद यही कारण है कि बड़ी तेजी से उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों से लेकर नए-नए स्टार्ट-अप तक, हर कोई आयुर्वेद आधारित पोषण और कल्याण उत्पादों के निर्माण के लिए तैयार है, जो पारंपरिक पेय और मिश्रणों की जबर्दस्त मांग का परिणाम है, क्योंकि विश्व आज अपने सबसे खराब स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। यही कारण है कि कोविड-19 के प्रकोप के बाद हम आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी देख रहे हैं।
आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं का निर्माण करने वाली एक सरकारी उपक्रम/उद्यम इंडियन मेडिसीन्स फार्मास्युटिकल्स कार्पोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) द्वारा दर्ज की गई बिक्री से पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं और उत्पादों की खपत में काफी वृद्धि हुई है। आईएमपीसीएल ने अगस्त 2020 तक 69.60 करोड़ की बिक्री दर्ज की, इसी अवधि के दौरान पिछले वर्ष यही बिक्री 26.73 करोड़ थी।
2018 में भारत में आयुर्वेद बाजार का मूल्य 300 अरब रूपए था, 2024 तक इसके 710.87 अरब पहुंचने की उम्मीद है, जो 16.06 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से विस्तारित हो रहा है।