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मुख्यमंत्री योगी को राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने की उठी मांग, महंत नरेंद्र गिरी ने दिया बड़ा बयान

locationलखनऊPublished: Nov 12, 2019 03:21:15 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को शामिल करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री योगी को राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने की उठी मांग, महंत नरेंद्र गिरी ने दिया बड़ा बयान

मुख्यमंत्री योगी को राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने की उठी मांग, महंत नरेंद्र गिरी ने दिया बड़ा बयान

लखनऊ. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को शामिल करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीएम योगी को गोरक्ष पीठाधीश्वर के नाते राम मंदिर के ट्रस्ट में शामिल किया जाए क्योंकि राम मंदिर आंदोलन में गोरक्ष पीठ की महत्तवपूर्ण भूमिका रही थी। साथ ही महंत नरेन्द्र गिरी ने राम मंदिर ट्रस्ट में सनानत धर्म के अलावा किसी दूसरे धर्मावलम्बी को सदस्य बनाए जाने पर भी कड़ा एतराज जताया है। सैकड़ों वर्षों के लंबे संघर्षों के बाद अयोध्या विवाद का सुप्रीम कोर्ट से हल निकला है। इस ट्रस्ट में मुस्लिम या किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को शामिल करना कतई उचित नहीं है। इससे भविष्य में फिर से विवाद की स्थिति आ सकती है।

लगभग पांच सौ वर्ष से हिंदू और मुसलमानों के बीच विवाद का कारण बना रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद अगर 21वीं सदी के दूसरे दशक में निपटा तो इसमें सबसे अहम भूमिका विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की मानी जाएगी। परिषद ने इस मामले पर राष्ट्रव्यापी जनांदोलन खड़ा कर आम आदमी का ध्यान इस ओर खींचा। लेकिन अब मंदिर निर्माण में विहिप की भूमिका को लेकर असमंजस बढ़ गया है। क्योंकि राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित ट्रस्ट में विहिप सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं चाहती। वहीं दूसरी तरफ भाजपा चुनाव के बचे ढाई सालों में राममंदिर के निर्माण की प्रक्रियाओं में केंद्र व प्रदेश सरकार की मदद से इस मुद्दे को लगातार गर्म रखने की रणनीति अपनाना चाह रही है।

ट्रस्ट में सरकार का कोई प्रतिनिधित्व न हो

विहिप की मांग है कि राम मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित ट्रस्ट में न तो सरकार का कोई प्रतिनिधित्व हो और न ही वैष्णव, शैव और सगुण ब्रह्म को मानने वालों के अलावा किसी अन्य मतावलंबियों को जगह मिले। पूजा पद्धति को परिवारवाद से बचाने के लिए विहिप ने बद्रीनाथ मॉडल अपनाए जाने की वकालत की है, जहां ब्रह्मचारी रहने तक ही पुजारी पद पर रह सकता है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राम मंदिर से जुड़े मुकदमे में अहम भूमिका निभाने वाले चंपत राय के मुताबिक ट्रस्ट पर सरकार से बातचीत नहीं हुई है। हमारा मानना है कि उसमें मंत्रियों या अफसरों को शामिल न किया जाए।

मंदिर निर्माण को भुनाने की तैयारी में भाजपा

अभी तक सपा बसपा कांग्रेस सरीखे विरोधी दल भाजपा को राममंदिर को महज चुनावी मुद्दा बनाकर भुनाने की कोशिश के लिए घेरते थे और जनता को ठगने का आरोप लगाते थे। अब विपक्ष के इन्हीं निशानों पर भाजपा आक्रामक रूख अपना सकती है। इतना ही नहीं फैसले पर अमल करने की जिम्मेदारी निभाने में भाजपा अपनी सरकार के मार्फत अगले विधानसभा चुनाव में दोबारा सरकार बनाने की जुगत में जुटने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों के अनुसार रणनीति यह है कि भाजपा चुनाव के बचे ढाई सालों में राममंदिर के निर्माण की प्रक्रियाओं में केंद्र व प्रदेश सरकार की मदद से इस मुद्दे को लगातार गर्म रखा जाए।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक के मुताबिक निसंदेह राममंदिर मुद्दा पार्टी के संकल्प पत्र का मुख्य हिस्सा रहा है लेकिन यह हमारा सियासी मुद्दा नहीं रहा। हम आम लोगों को अपनी प्रतिबद्धता के पूरा होने और उसके लिए किए गए जतन को जरूर सामने रखेंगे। विधानसभा चुनाव में अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण का संकल्प भाजपा ही लेती रही है।

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