स्मार्ट इंसुलिन भी आएगी डॉ. मोहन के मुताबिक कांफ्रेंस में स्मार्ट इंसुलिन का शोध पत्र भी सामने रखा गया, जिसके अनुसार एक पैच पेट में लग जाएगा और जब आप खाना खाएंगे तो पैच में लगे महीन कांटों के सहारे इंसुलिन रिलीज हो जाएगी। जब तक आप खाएंगे नहीं, इंसुलिन रिलीज नहीं होगी। यह सबकुछ ऑटोमेटिक मोड में होगा। उन्होंने बताया कि ओरल इंसुलिन पर भी दुनिया में अमेरिका, कनाडा के साथ यूरोप के कई देशों में शोध हो रहे हैं लेकिन वर्ष 2024 के बाद के बाद ही कोई रिजल्ट सामने आएगा।
यह भी पढ़े – मां नहीं बन पा रहीं महिलाएं, अगर आपको भी हैं ये शिकायतें तो हो जाए सतर्क जानिए क्या हैं आंकड़े – 10 लाख मौतें भारत में एक साल के भीतर डायबिटीज से हुईं, कोरोना बड़ी आफत रहा
– 08 करोड़ मरीज भारत में हैं इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार – 11 करोड़ हो जाएगी 2030 में संख्या और वर्ष 2045 में 13.5 करोड़ हो जाएगी – 2.70 लाख बच्चे भारत में टाइप-1 के शिकार रिपोर्ट के मुताबिक
क्या है बेसल इंसुलिन मौजूदा समय में इंसुलिन लेने के दो तरीके हैं। पहला बोलस और दूसरा बेसल। बोलस से खुराक लेने पर तुरंत राहत मिलती है, इसे खाने के पहले लिया जाता है जबकि बेसल से खुराक लेने पर लंबे समय पर ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य रहता है। इसके तहत ग्लूकोज लेवल सुबह से रात तक नियंत्रित रहता है। बेसल इंसुलिन का काम ब्लड ग्लूकोज लेवल को मेंटेन रखना है, खासतौर पर व्रत और सोने के दौरान। जब भी कोई व्यक्ति व्रत करता है तो उस दौरान लिवर ग्लूकोज निकालता है, जो हमारी रक्त कोशिकाओं से होते हुए शरीर में जाता है। बेसल इंसुलिन इसी ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल में रखने का काम करता है।
जान लीजिए इस इंसुलिन के फायदे 24 घंटे में शरीर में मौजूद पैंक्रियाज इंसुलिन की नियमित मात्रा तैयार करता है। बेसल इंसुलिन इसी की नकल कर शरीर में उतनी ही इंसुलिन की मात्रा का प्रवाह करता है जितना उसे जरूरी होता है।