पचं तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है मिट्टी का दीया हिंदू धर्म में पंचतत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह पंचतत्व जल, वायु, अग्नि, आकाश व भूमि। मिट्टी का दीया इन पाँचों तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। उसके अंदर यह पाँचों तत्व मौजूद होते हैं। इस कारण इसकी महत्ता अत्यधिक बढ़ जाती है।
साथ ही जब इसे जलाया जाता हैं तो यह तीनों लोकों और तीनों काल का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसमें मिट्टी का दीया हमें पृथ्वी लोक व वर्तमान को दिखाता है जबकि उसमे जलने वाला तेल या घी भूतकाल व पाताल लोक का प्रतिनिधित्व करता हैं। जब हम उसमे रुई की बत्ती डालकर प्रज्जवलित करते हैं तो वह लौ आकाश, स्वर्ग लोक व भविष्यकाल का प्रतिनिधित्व करती है।
पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं दीये मिट्टी से निर्मित मूर्तियाँ, दीये व खिलौने पूरी तरह इको-फ्रेंडली होते हैं। इसकी बनावट, रंगाई व पकाने में किसी भी प्रकार का केमिकल प्रयोग नहीं किया जाता है। दीये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यदि यह दीये टूट भी जाते हैं या इन्हें फेंकना भी हो तो इसे नदी-नहर में बहा दिया जाता हैं जिससे प्रकृति को कोई नुकसान नही होता। दूसरी ओर प्लास्टिक इत्यादि धातुओं से बनी लाइट्स या दीये पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं।
कीट-पतंगों और अन्य हानिकारक जीवाणुओं का होता है नाश दिवाली ऐसे समय में आती हैं जब वर्षा ऋतु समाप्त हो चुकी होती हैं तथा शरद ऋतु शुरू हो जाती हैं। ऐसे समय में वातावरण में कीट-पतंगे, मच्छर व अन्य जहरीले विषाणुओं की संख्या बढ़ जाती हैं। यह सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं तथा हमे विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ दे जाते हैं।
दिवाली के दिन जब सरसों के तेल से मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं तो इन सभी जीवाणुओं का नाश हो जाता हैं व इनका प्रभाव भी कम हो जाता है। इसलिये दीपावली के दिन सभी घरो में एक साथ दीपक को प्रज्जवलित करने पर इन सभी कीट-पतंगों के नाश में सहायता मिलती है।
मिलती है शनिमहाराज और मंगलदेव की कृपा हिंदू परंपरा में मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है। मंगल साहस, पराक्रम में वृद्धि करता है और तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है। शनि को न्याय और भाग्य का देवता कहा जाता है। मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा प्राप्त होती है।