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आरएसएस के तीन करोड़ दीपकों से जगमगाएगी दीवाली, चार हजार महिला समूह मिलकर बनाएंगी दीए

locationलखनऊPublished: Oct 17, 2020 10:48:38 am

Submitted by:

Karishma Lalwani

कोरोना काल में इस बार की दीवाली सबसे अलग होगी। इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन करोड़ दीपकों की रोशनी से दीपोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए गाय के गोबर और मूत्र के जरिये पूरे प्रदेश में चार हजार महिला समूह मिलकर तीन करोड़ दीये बनाएंगी।

आरएसएस के तीन करोड़ दीपकों से जगमगाएगी दीवाली, चार हजार महिला समूह मिलकर बनाएंगी दीए

आरएसएस के तीन करोड़ दीपकों से जगमगाएगी दीवाली, चार हजार महिला समूह मिलकर बनाएंगी दीए

लखनऊ. कोरोना काल में इस बार की दीवाली सबसे अलग होगी। इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन करोड़ दीपकों की रोशनी से दीपोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए गाय के गोबर और मूत्र के जरिये पूरे प्रदेश में चार हजार महिला समूह मिलकर तीन करोड़ दीये बनाएंगी। संघ का ये प्रयास दीवाली को प्रदूषणमुक्त बनाएगा। खास बात यह है कि ये दीये घर को रोशन करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी सहारा देंगे। ये दीये पहले घर को रोशन करेंगे और इसके बाद गमलों में जाकर खाद बन जाएंगे। राजधानी लखनऊ की कई गोशालाओं में दीये और प्रतिमाओं का निर्माण भी गोबर से किया जा रहा है।
गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, स्वास्तिक आदि हो रहे तैयार

सहकार भारती के द्वारा प्रशिक्षित समूह दीपावली के अवसर पर पर्यावरण के अनुकूल गाय के गोबर व गौमूत्र मिश्रित उत्पाद जैसे दीपक, गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, बंदनवार, ॐ, स्वास्तिक तैयार कर रहे हैं। गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद के प्रबंधक उमाकांत के अनुसार गौशाला में लगभग 150 महिलाओं के जरिये पर्यावरण के अनुकूल गोबर मिश्रित उत्पाद जैसे दीपक, हवन के लिये लकड़ी आदि प्रमुख रूप से तैयार किये जा रहे हैं। वहीं, राजाजीपुरम में चल रहे केंद्र पर प्रमुख तुषार श्रीवास्तव ने बताया कि उनके यहां दीपक, गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, बंदनवार, स्वास्तिक, आदि उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं।
चाइनीज सामानों की जगह गौ उत्पादों का प्रयोग

महामारी कोरोना वायरस के बाद चाइनीज उत्पादों के कई प्रयोग पर रोक लगा दी गई है। लिहाजा त्योहारों पर भारतीय उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है। इस दीपोत्सव में भी मोमबत्ती व चाइनीज झालरों की जगह गौ आधारित उत्पादों का प्रयोग किया जा रहा है। इन चीजों के आवाहन भी कार्यकर्ताओं द्वारा समाज से किया जा रहा है। ये सभी उत्पाद पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही लाभकारी होंगे। कुछ स्थानों पर सेवा भारती के कार्यकर्ताओं के द्वारा भी प्रशिक्षण का कार्य चल रहा है।
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