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क्षय उन्मूलन में डॉट प्रोवाइडर्स की अहम् भूमिका,जानिए कैसे

locationलखनऊPublished: Jan 31, 2021 08:43:43 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

टीबी अस्पताल के हेल्थ विजिटर राम प्रताप के द्वारा दवा उपलब्ध कराई जाती है।

माता लकवे का शिकार हैं जबकि चंदा एक बच्ची की माँ हैं।

माता लकवे का शिकार हैं जबकि चंदा एक बच्ची की माँ हैं।

लखनऊ, नियमित तौर पर दवाओं का पूरा कोर्स करके ही टीबी से निजात मिल सकती है। इसी क्रम में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत डॉट (डायरेक्ट ओब्सर्व्ड थेरेपी) प्रोवाइडर्स की भूमिका अहम् है। यह डॉट प्रोवाइडर्स जहाँ टीबी मरीजों को समय से दवा उपलब्ध कराते हैं वहीँ मरीजों द्वारा उनका समय से सेवन कराना भी सुनिश्चित कराते हैं । इसी तरह की डॉट प्रोवाइडर्स हैं -ऐशबाग क्षेत्र की 25 वर्षीय नैन्सी और 30 वर्षीय चंदा । नैन्सी किंग इंग्लिश, टूड़ियागंज चिकित्सालय से और चंदा टीबी अस्पताल, राजेन्द्र नगर से सम्बद्ध हैं। नैन्सी बताती हैं -उनके पिता की कम आयु में ही मृत्यु हो गयी और माता लकवे का शिकार हैं जबकि चंदा एक बच्ची की माँ हैं।
चन्दा बताती हैं कि वह वर्ष 2016 से इस काम को कर रही हैं और अभी तक लगभग 50 मरीजों को दवा उपलब्ध कराकर टीबी मुक्त करा चुकी हैं। वह कहती हैं कि लॉक डाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था तब भी मरीजों के घर जाकर उन्हें दवा उपलब्ध कराई। हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है कि मरीज दवा का नियमित रूप से सेवन करें | उसे छोड़ें नहीं, इसके लिए उनका फ़ॉलो अप करना तथा उनको मानसिक तौर पर तैयार करना कि दवा खाने के बाद शुरूआत में कुछ दिक्कतें होंगी लेकिन बाद में सब ठीक हो जाएँगी। नैन्सी ने बताया कि वह पिछले दो साल से डॉट प्रोवाईडर का काम कर रही हैं जहाँ इससे उन्हें आर्थिक मदद मिलती है वहीँ वह लोगों की सेवा कर सुकून महसूस करती हैं | बहुत से ऐसे मरीज हैं जो अस्पताल जाकर दवा नहीं ले सकते हैं ऐसे में वह उन्हें समय से दवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित कराती हैं। कुछ मरीज ऐसे होते हैं जो शहर से बाहर अपने गाँव चले जाते हैं, उनका भी फॉलो अप किया और उनके वापस आने पर दवा फिर से शुरू करवाई और टीबी की दवा का कोर्स पूरा करवाया । अभी तक मैंने लगभग छह मरीजों टीबी से मुक्ति दिलाई है।
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर अभय चन्द्र मित्रा बताते हैं । अस्पताल से 24 घंटे दवा नहीं मिल सकती है। मरीज डॉट प्रोवाईडर्स के घर से दिन में कभी भी दवा ले सकते हैं। यह प्रोवाइडर्स स्थानीय होते हैं इसलिए लोग इनकी बात को आसानी से मान लेते हैं और उन पर अमल भी करते हैं। नैंसी को टूड़ियागंज चिकित्सालय के टीबी हेल्थ विजिटर जयप्रकाश द्वारा और चंदा को राजेंद्र नगर टीबी अस्पताल के हेल्थ विजिटर राम प्रताप के द्वारा दवा उपलब्ध कराई जाती है।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. ए.के.चौधरी ने बताया कि टीबी उन्मूलन में डॉट प्रोवाईडर्स का बहुत सहयोग है । नैंसी और चंदा हमारे बेहतरीन स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं और अन्य लोगों को इनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा- डॉट प्रोवाईडर्स को सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है। 6 माह तक सफलतापूर्ण टीबी का पूरा इलाज करवाने पर 1000 रुपये और 2 साल तक सफलतापूर्ण पूरा इलाज करवाने में 5,000 रूपये की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाती है | इस समय जिले में आशा वर्कर, निजी स्वास्थ्य कर्ता सहित लगभग 1200 ट्रीटमेंट प्रोवाइडर हैं जिनके माध्यम से मरीजों को दवा उपलब्ध कराई जा रही है ।
डीटीओ ने बतायाकि टीबी पूरी तरह ठीक होने वाली बीमारी है। यदि किसी को लगातार दो हफ्तों तक खांसी आ रही है, दो हफ्ते से ज्यादा बुखार आ रहा हो, वजन का घटना, रात को पसीना, गले में गिल्टी या सूजन, या फिर जोड़ों में दर्द व सूजन है तो उसी टीबी का लक्षण माना जाता है। क्षय उन्मूलन को लेकर जहाँ सरकार वचनबद्ध है वहीँ आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनके उन्मूलन में अपना सहयोग करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को अपने घर या आस-पास टीबी का संभावित रोगी मिलता है या ऐसा रोगी जिसमें उपरोक्त लक्षण दिखाई दें तो पास के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर इसकी सूचना अवश्य दे। लाभार्थी साधना और आयुष बताते हैं कि डॉट प्रोवाइडर द्वारा उन्हें दवा उपलब्ध करायी जाती है यह उनके लिए बहुत फायदेमंद है । उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है साथ ही वह इस बात के लिए भी आगाह करते हैं कि दवा बिलकुल भी नहीं छोड़नी है इसका नियमित सेवन करना है।

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