आजम खां के मामले में बोलने को तैयार नहीं सपा डॉ. मसूद ने कहा कि अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में एकतरफा मुस्लिमों के मत हासिल करने के बाद भी उनके मुद्दों व उनपर हो रहे उत्पीड़न अन्याय के विरुद्ध मौन है। वह मुस्लिमों को अपना गुलाम मतदाता समझ रहे है। वह अपनी ही पार्टी के नेता आजम खां पर दर्ज हुए फर्जी मुकदमो व जेल यातनाओं के विरोध में एक शब्द भी बोलने को तैयार नही है। उन्होंने कहा कि मौन की एक सीमा होती है। अखिलेश को जिस समय भाजपा द्वारा किये जा रहे अन्याय उत्पीड़न का विरोध व उसकी नकारात्मक रणनीति का खुलकर धारदार तरीके से विरोध करना चाहिये, ऐसे मौके पर उनका विपक्षी एकता को तोड़ने वाला बयान एक तरह से लोकतंत्र व संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी भाजपा सरकार के दुस्साहस को समर्थन देने वाला है।
संवेदनहीनता की सीमाएं लांघ रहे भारतीय क्रांति मोर्चा के संयोजक व पूर्व मंत्री डॉ. मसूद अहमद ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी व अखिलेश यादव की पूरी राजनीति दलित, पिछड़ा शोषित, पीड़ित वंचित अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध जा चुकी है। यह वर्ग उनके एजेंडे में नहीं रह गया है। इन वर्गों को भी अब नए विकल्प पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि दूसरे दलों के नेता आजम खां के मामले को गम्भीरता से लेने के साथ उनके प्रति संवेदनशीलता पूर्वक व्यवहार कर रहे है, वहीं अखिलेश यादव संवेदनहीनता की सीमाएं लांघ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कठिन दौर में जो राजनेता दल मुस्लिम समुदाय सहित शोषित पीड़ित वंचितों के साथ नहीं है, वह भी ध्यान रखे कि समय आने पर उनसे वह अपने समर्थन की उम्मीद भी मत रखे।