डॉ रवि शंकर ने बातया कि उनके दिमाग में थक्कों की वजह से सूजन आ रही थी, जिसके लिए मष्तिष्क की हड्डी का एक टुकड़ा निकाला गया और उसे पेट में रखा गया। सांस लेने के लिए ट्रेकियोस्टेमी भी की गई ताकि श्वसन प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहे और मष्तिष्क को ऑक्सीजन मिलता रहे। लगभग एक महीने बाद जब उनके मष्तिष्क के घाव भर गए तो पेट मे रखी हड्डी को सर्जरी के द्वारा दोबारा मष्तिष्क में लगा दिया गया।
डॉ रवि शंकर की टीम डॉ प्रमोद, डॉ सतीश, डॉ शैलेश, डॉ अमितेश और पैरा-मेडिकल स्टाफ ने इस सर्जरी को जटिल परिस्थितियों में सफलतापूर्वक अंजाम दिया। जांच के दौरान यह भी पता लगा कि जफरयाब जिलानी कोविड पॉजिटिव हैं। लेकिन चोट की गम्भीरता को देखते हुए सर्जरी आवश्यक थी। इसलिए कोविड के लिए बनाई गई मेडिकल प्रोटोकॉल का पूर्णतः पालन करते हुए जिलानी की सर्जरी की गई व बेहद सतर्कता के साथ उन्हें दवाइयां दी गईं। इसके फलस्वरूप न केवल वे दिमाग की चोट और कोविड दोनों से सफलतापूर्वक ठीक होकर स्वास्थ लाभ ले रहे हैं।
जफरयाब जिलानी ने डॉ नरेश त्रेहन, डॉ राकेश कपूर और डॉ रवि शंकर और उनकी टीम के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा ये मेरी खुशकिस्मती है कि मेदांता जैसा अस्पताल आज लखनऊ में उपलब्ध है, जहां वर्ल्ड क्लास मेडिकल सर्विसेज उपलब्ध हैं। जिन मुश्किल हालात में मेरे परिवार ने मुझे यहां भर्ती कराया था। उसमें मेदांता के डॉक्टरों ने पूरे मेडिकल प्रोफेशनलिज्म का परिचय देते हुए मेरे प्राणों की रक्षा की है, मैं आजीवन इन सभी का शुक्रगुजार रहूंगा।