(HealthyAwareness) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महाप्रबन्धक- बाल स्वास्थ्य डॉ. वेद प्रकाश का कहना है कि एनीमिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आयरन युक्त आहार को ही अपनाएं, इसके लिए भोजन में सहजन, हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी), दालें, फल को जरूर शामिल करें । इसके अलावा खाने में नींबू, आंवला व अमरूद जैसे खट्टे फल भी शामिल करें, जो आयरन के अवशोषण में मदद करते हैं । (HealthyAwareness) खासकर अपने खाने में स्थानीय स्तर से उत्पादित पौष्टिक खाद्य पदार्थों को जरूर शामिल करें । सहजन हर जगह आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भी होता है । इसके साथ ही आयरन युक्त पूरक भी समग्र विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं ।
(HealthyAwareness) इसके लिए छह से 59 माह के बच्चे को हफ्ते में दो बार एक मिली. आईएफए सिरप दिया जाना चाहिए । पांच से नौ साल की उम्र में हफ्ते में आईएफए की एक गुलाबी गोली और 10 से 19 साल तक की उम्र में हफ्ते में एक बार आईएफए की नीली गोली अवश्य दी जानी चाहिए । इसके अलावा गर्भवती को गर्भावस्था के चौथे महीने से रोजाना 180 दिनों तक आईएफए की एक लाल गोली और धात्री महिला को भी 180 दिनों तक आईएफए की एक लाल गोली सेवन करनी चाहिए । (HealthyAwareness) पेट के कीड़े निकालने के लिए अल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक भी लें । उनका कहना है कि सभी उम्र के लोगों में एनीमिया की जांच और पहचान किया जाना महत्वपूर्ण होता है, ताकि व्यक्ति की हिमोग्लोबिन के स्तर के अनुसार उपयुक्त उपचार प्रारंभ किया जा सके ।
(HealthyAwareness)डॉ. वेद प्रकाश का कहना है कि स्वास्थ्य संस्थाएं भी इस बात का ख्याल रखें कि नवजात की गर्भनाल को दो मिनट बाद ही काटें ताकि नवजात के खून में आयरन की मात्रा बनी रहे । जन्म के पहले घंटे के भीतर मां नवजात को अपना पीला गाढ़ा दूध जरूर पिलाये क्योंकि वह बच्चे को बीमारियों से बचाता है और यही उसका पहला टीका भी होता है । (HealthyAwareness) इसके साथ ही छह माह तक बच्चे को सिर्फ और सिर्फ स्तनपान करायें, बाहरी कुछ भी न खिलाएं-पिलाएं, क्योंकि इससे संक्रमण की पूरी गुंजाइश रहती है । छह माह के बाद बच्चे को स्तनपान के साथ घर का बना मसला और गाढ़ा ऊपरी आहार भी देना शुरू करें ।
(HealthyAwareness) जैसे- कद्दू, लौकी, गाजर, पालक, गाढ़ी दाल, दलिया या खिचड़ी । बच्चे के खाने में ऊपर से एक चम्मच घी, तेल या मक्खन मिलाएं । बच्चे के खाने में नमक, चीनी और मसाला का कम इस्तेमाल करें । एक खाद्य पदार्थ से शुरू करें और खाने में धीरे-धीरे विविधता लाएं और बच्चे का खाना रुचिकर बनाने के लिए अलग-अलग स्वाद व रंग को शामिल करें । (HealthyAwareness) बच्चे को बाजार का बिस्कुट, चिप्स, मिठाई, नमकीन और जूस जैसी चीजें न खिलाएं क्योंकि इसमें पोषक तत्वों की मात्रा शून्य होने के साथ ही इससे बच्चे का घर के खाने से ध्यान भी हटता है ।
(HealthyAwareness) डायरिया का प्रबन्धन भी है जरूरी (HealthyAwareness) बच्चे को कुपोषण व एनीमिया की जद में आने से बचाने के लिए डायरिया का प्रबन्धन बहुत जरूरी है, क्योंकि डायरिया की चपेट में आने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और अन्य बीमारियां बच्चे को घेर लेती हैं । बच्चे को डायरिया से बचाने के लिए व्यक्तिगत साफ़-सफाई व आहार की स्वच्छता का ध्यान रखें और हमेशा स्वच्छ पानी ही पियें । (HealthyAwareness) छह माह तक बाहर का कुछ भी न दें यहाँ तक की पानी भी नहीं क्योंकि यह भी डायरिया का कारण बन सकता है । डायरिया होने पर भी स्तनपान न रोकें बल्कि बार-बार स्तनपान कराएं । (HealthyAwareness) बच्चे को डायरिया होने पर तुरंत ओआरएस का घोल व अतिरिक्त तरल पदार्थ दें और जब तक डायरिया पूरी तरह से ठीक न हो जाए तब तक जारी रखें । डायरिया से पीड़ित बच्चे को 14 दिन तक जिंक दें, अगर दस्त रुक भी जाए तो भी इसे देना न बंद करें ।
(HealthyAwareness) स्वच्छता व साफ़-सफाई का रखें ख्याल (HealthyAwareness) हमेशा साफ़ बर्तन में ढककर रखा हुआ शुद्ध पानी पिएं। खाना बनाने, स्तनपान कराने से पहले, बच्चे को खिलाने से पहले, शौच के बाद और बच्चे के मल निपटान के बाद साबुन-पानी से हाथों को अच्छी तरह अवश्य धुलें खाना खिलाने से पहले बच्चे के हाथों को भी अच्छी तरह अवश्य धुलें। (HealthyAwareness) शौच के लिए हमेशा शौचालय का ही उपयोग करें। किशोरियां और महिलाएं माहवारी के दौरान व्यक्तिगत साफ़-सफाई का खास ख्याल रखें।