मुख्य वक्ता डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.विक्रम सिंह ने कहा कि तीसरी लहर आएगी यह तय है लेकिन दूसरी लहर की अपेक्षा इसका प्रभाव कम होगा। अभी तक जो भी शोध हुए हैं। उनमें यह निष्कर्ष निकला है कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी वायरस में इतना बदलाव नहीं होता है कि वह 3 महीने में वयस्क से सीधे बच्चों को प्रभावित करे। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बच्चे कम प्रभावित हुए। अध्ययन में पता चला है कि बच्चों में एमएमआर (मीजल, मंप और रुबेला) वैक्सीन लगाई जाती है, जो बच्चों को एंटीबॉडी प्रदान कर रहा है। एमएमआर वैक्सीन जिन बच्चों को लगी है, वह कोरोना से प्रभावित नहीं हुए हैं। इसे यह बात सामने आती है कि एमएमआर वैक्सीन भी बच्चों को कोरोना से सुरक्षा प्रदान कर रही है।
विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के पूर्व सचिव डा. पीके त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश में 500 से अधिक गोशालाएं और 5500 संरक्षण केन्द्र हैं। एक सर्वे के मुताबिक, जो लोग इनसे जुड़े थे, उन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि गोवंश के साथ रहने से एक सकारात्मक उर्जा मिलती है। जो लोग गो-उत्पाद, जैसे – दूध, दही, घी, गौमूत्र और गोमय यानि पंचगव्य आदि ले रहे हैं, वह कहीं न कहीं कोरोना संक्रमण से दूर हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में गो-सेवा से जुड़े लोगों का विस्थापन नहीं हुआ है, क्योंकि उनका व्यवसाय बंद नहीं हुआ था। गोपालन से जहां हमारी आय बढ़ती है वहीं इससे जुड़े उत्पादों के सेवन से कई बीमारियों से मुक्ति भी मिलती है। ग्रामीणों क्षेत्रों में अधिकांश लोग गौवंश से जुड़े हुए हैं, उनमें कोरोना संक्रमण कम देखने को मिला। उन्होंने कहा कि पहली और दूसरी लहर के बाद लोग जागरूक हुए हैं। ऐसे में तीसरी लहर का असर कम होगा।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय ने बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से लोगों में जागरूकता आई है। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चों में भय पैदा न होने दें। हमें अपने वातावरण को ठीक करना होगा। विद्या भारती ने पहली और दूसरी लहर के समय परिवार प्रबोधन का कार्य किया। अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत है और साथ ही अपने बच्चों को स्वच्छता, आहार-विहार के बारे में बताएं। अपनी सनातन पद्धति को अपनाएं, योग-प्राणायम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इससे बच्चों के मन में जिज्ञासा आएगी। अभिभावकों को बच्चों के साथ खेलना चाहिए। उनको महापुरुषों की कहानियां और प्ररेक प्रसंग सुनाएं, इससे उनका बौद्धिक विकास भी होगा। इसके साथ ही आत्मबल और मनोबल भी बढ़ेगा। उन्होंने प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर जोर देते हुए कहा कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सुवर्ण प्राशन सबसे कारगर औषधि ही नहीं वैक्सीन का काम करती है, जो कोरोना की तीसरी लहर से भी बचाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि विद्या भारती ने सिर्फ लखनऊ में ही 3000 से अधिक बच्चों को सुवर्ण प्राशन की ड्राप पिलाई है।