नाटक बड़े हुजूर ने दर्शकों को हंसाकर लोटपोट किया
-शहरों मे किराये के मकान की समस्या पर व्यंग्य

लखनऊ, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था देवशु थियेटर आर्ट्स सोसाइटी के तत्वावधान में आज डीएवी पी जी कॉलेज के भृगुदत्त ऑडिटोरियम में आत्माराम सावंत के मूल नाटक का श्रीधर जोशी के नाट्य रूपांतरण में नाटक बड़े हुजूर का मंचन अशोक लाल के निर्देशन में आज अपराहन किया गया। नाटक का विधिवत उद्घाटन डीएवी पीजी कॉलेज के प्रबंधक मनमोहन तिवारी और बीएन ओझा ने दीप प्रज्वलित कर किया।
बड़े शहरों में किराए के मकान की समस्या को उजागर करते नाटक बड़े हुजूर ने जहां एक ओर इस समस्या की ओर लोगों का ध्यानाकर्षण करवाया वहीं दूसरी ओर नाटक के परिस्थितिजन्य हास्य ने दर्शकों को हंसा कर लोटपोट किया। नाटक के कथा अनुसार शराफत हुसैन जो कि वास्तव में एक विवाहित और दूसरे शहर में नौकरी करने आया है, उसे उस शहर में किराए का मकान ढूंढते हुए, एक ऐसा मकान किराए पर मिला, जहां का मकान मालिक नवाब साहब (बड़े हुजूर) अपनी शर्तों पर मकान किराए पर देता है।उसकी शर्त होती है कि जो व्यक्ति कुंवारा होगा उसे ही मकान किराए पर रहने के लिए दिया जाएगा। बड़े हुजूर की एक बेटी जिसका नाम पम्मी है, उसकी शादी करके बड़े हुजूर उसे अपना घर जमाई बनाना चाहता है।
शराफत मियां अपने आप को कुंवारा बताकर उस मकान में रहने लगता है, लेकिन एक दिन शराफत मियां की पत्नी शमीम जो उस शहर में अपने पति शराफत का पता लगाते हुए आ जाती है। शराफत मियां की बीवी को इस झूठ का पता नहीं रहता, बस मुसीबत यहीं से शुरू हो जाती है। एक ओर वह मकान मालिक से मकान खाली कराए जाने के डर से अपनी बीवी को अपनी बहन के रूप में मकान मालिक बड़े हुजूर से परिचय कराता है तो दूसरी ओर बड़े हुजूर मन ही मन पम्मी की शादी शराफत हुसैन से कराने की सोचता है, तब बड़े हुजूर जो स्वयं विदुर हैं शमीम पर आशिक हो जाते हैं और उससे शादी करने का सपना देखते हैं।
कई दिलचस्प घटनाओं के बाद शमीम अब्बू (पिता) मीर साहब अपने बेटे इमरान मियां के साथ वहां आ धमकते हैं। अंत में बड़े ही नाटकीय परिस्थितियों में संपूर्ण घटना का रहस्योद्घाटन होता है। एक दिलचस्प मोड़ पर आकर नाटक समाप्त हो जाता है। सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक बड़े हुजूर में अशोक लाल, शेखर पांडे, विजय मिश्रा, अचला बोस, आनंद प्रकाश शर्मा, श्रद्धा बोस, गिरीश अभीष्ट, सचिन कुमार शाक्य ने अपने दमदार अभिनय से रंग प्रेमी दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल में बांधे रखा। नाट्य नेपथ्य में आनंद प्रकाश ( सेट परिकल्पना) शेखर पांडे (सेट डिजाइनिंग) शिव कुमार श्रीवास्तव शिब्बू ( रूप सज्जा) श्रद्धा बोस ( वस्त्र विन्यास) प्रभात कुमार बोस और बी एन ओझा का योगदान नाटक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
अब पाइए अपने शहर ( Lucknow News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज