गुरूवार को गैसड़ी ब्लाक की बाल विकास परियोजना अधिकारी गरिमा श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण वाटिका बनाये जाने की कार्ययोजना तैयार की गई है जिसके क्रम में ब्लाक के 50 सुरक्षित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ग्राम प्रधानों के साथ मिलकर सहजन का पौधा लगाकर कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। उन्होने बताया कि सहजन का पौधा कुपोषण को दूर करता हैं। सहजन दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है इसे मुनगा भी कहते है। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फल्ली, तना, गोंद हर चीज उपयोगी होती है। आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है इसीलिए कुपोषण को खत्म करने की शुरूआत में सबसे पहले इसी पौधे को लगाकर कुपोषण मुक्त बलरामपुर की कवायद शुरू की गई है।
उन्होने बताया कि ब्लाक के 3730 कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों के घरों और 219 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सहजन के पौधे लगाकर और लोगों को सहजन के गुणकारी लाभ बताकर ब्लाक को कुपोषण मुक्त बनाने का उन्होने संकल्प लिया है। जिन घरों में कुपोषित किशोर किशोरी हैं व परिवार साग सब्जियां खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, ऐसे परिवार को सप्ताह में एक बार पोषण वाटिका से सब्जियां दी जाएगीं। इसके निर्माण में उद्यान विभाग सशुल्क बीज व पौधे उपलब्ध कराएगा। वाटिका निर्माण में ग्राम प्रधान ग्राम निधि से बीज, पौधे, आवश्यक मजदूरी का भुगतान करेंगे।
पौष्टिक गुणों की खान है ‘‘सहजन’’
-सहजन में संतरे से सात गुना विटामिन सी होता है। गाजर से चार गुना अधिक विटामिन ए होता है। दूध से चार गुना अधिक कैल्शियम होता है। केले से तीन गुना अधिक पोटेशियम होता है और दही से तीन गुना अधिक प्रोटीन होता है। स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाते हैं। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘‘मोरि¬गा ओलीफेरा’’ है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जाना जाता है जो लोग इसके गुणकारी महत्व को जानते है इसका सेवन जरूर करते हैं।