2014 के कांग्रेस यहां थी दूसरे नंबर पर
कुशीनगर- कुंअर आरपीएन सिंह
सहारनपुर- इमरान मसूद
गाजियाबाद – राजबब्बर
बाराबंकी – पीएल पुनिया
कानपुर – श्रीप्रकाश जायसवाल
लखनऊ – रीता बहुगुणा जोशी पूर्वी यूपी की इन सीटों पर है कांग्रेस का प्रभाव
प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दिया जाना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इस क्षेत्र की कई सीटों पर कांग्रेस का अच्छा प्रभाव है। 2009 के चुनाव में पूर्वी यूपी में कांग्रेस पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और गोरखपुर से सटी महाराजगंज के अलावा बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बाराबंकी, सुलतानपुर, रायबरेली, अमेठी, फैजाबाद समेत कई सीटों पर जीत हासिल की थी। फूलपुर से पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू सांसद थे। इलाहाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर समेत कई जिलों में कांग्रेस का अच्छा खासा प्रभाव है।
कुशीनगर- कुंअर आरपीएन सिंह
सहारनपुर- इमरान मसूद
गाजियाबाद – राजबब्बर
बाराबंकी – पीएल पुनिया
कानपुर – श्रीप्रकाश जायसवाल
लखनऊ – रीता बहुगुणा जोशी पूर्वी यूपी की इन सीटों पर है कांग्रेस का प्रभाव
प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दिया जाना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इस क्षेत्र की कई सीटों पर कांग्रेस का अच्छा प्रभाव है। 2009 के चुनाव में पूर्वी यूपी में कांग्रेस पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और गोरखपुर से सटी महाराजगंज के अलावा बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बाराबंकी, सुलतानपुर, रायबरेली, अमेठी, फैजाबाद समेत कई सीटों पर जीत हासिल की थी। फूलपुर से पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू सांसद थे। इलाहाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर समेत कई जिलों में कांग्रेस का अच्छा खासा प्रभाव है।
युवा, महिला और मुस्लिम वोट होंगे अहम
प्रियंका गांधी के कांग्रेस में आने से काफी कुछ बदलाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। प्रियंका गांधी ऐसी शख्सियत हैं, जिनको हर वर्ग का समर्थन मिलने की उम्मीद है। वह महिला हैं और ऐसे में देखा जाए तो महिला वोट उनके साथ काफी हद तक जा सकते हैं तो वहीं युवा और मुस्लिम वोट भी कांग्रेस की काफी हद तक जाएंगे। ऐसे में यूपी की राजनीति में २०१९ कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
प्रियंका गांधी के कांग्रेस में आने से काफी कुछ बदलाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। प्रियंका गांधी ऐसी शख्सियत हैं, जिनको हर वर्ग का समर्थन मिलने की उम्मीद है। वह महिला हैं और ऐसे में देखा जाए तो महिला वोट उनके साथ काफी हद तक जा सकते हैं तो वहीं युवा और मुस्लिम वोट भी कांग्रेस की काफी हद तक जाएंगे। ऐसे में यूपी की राजनीति में २०१९ कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
2014 में थी सबसे ख़स्ता हालत
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस ही हालत 1998 के बाद सबसे ख़स्ता रही है। २०१४ में कांग्रेस कुल 66 सीटों लोकसभा का चुनाव लड़ी। कुल 7.5 प्रतिशत वोटों के साथ कांग्रेस ने महज़ दो लोकसभा सीटें रायबरेली से सोनिया गांधी 3,52,713 और अमेठी में राहुल गांधी स्मृति ईरानी से सिर्फ 1,07,903 वोटों से जीत पाए थे। इनके अलावा 6 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, लेकिन इन सभी सीटों पर हार जीत का बड़ा अंतर था। सबसे कम अंतर सहारनपुर सीट पर था। यहां इमरान मसूद 65 हजार वोटों से हारे थे। उसके बाद कुशीनगर लोकसभा सीट पर पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह 85,540 वोट से हारे थे।
सबसे ज्यादा वोटों से हारे थे गाजियाबाद से राज बब्बर उन्हें जनरल वीके सिंह के मुकाबले 567676 से हार का सामना करना पड़ा था। बाराबंकी से पी एल पुनिया 2,11,000 वोटों से हारे थे तो कानपुर से श्री प्रकाश जयसवाल 2,22,000 वोटों से चुनाव हारे थे। वहींं लखनऊ से राजनाथ सिंह के सामने रीता बहुगुणा 2,72,000 वोटों से चुनाव हारी थींं। कांग्रेस के करीब 50 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी।
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस ही हालत 1998 के बाद सबसे ख़स्ता रही है। २०१४ में कांग्रेस कुल 66 सीटों लोकसभा का चुनाव लड़ी। कुल 7.5 प्रतिशत वोटों के साथ कांग्रेस ने महज़ दो लोकसभा सीटें रायबरेली से सोनिया गांधी 3,52,713 और अमेठी में राहुल गांधी स्मृति ईरानी से सिर्फ 1,07,903 वोटों से जीत पाए थे। इनके अलावा 6 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, लेकिन इन सभी सीटों पर हार जीत का बड़ा अंतर था। सबसे कम अंतर सहारनपुर सीट पर था। यहां इमरान मसूद 65 हजार वोटों से हारे थे। उसके बाद कुशीनगर लोकसभा सीट पर पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह 85,540 वोट से हारे थे।
सबसे ज्यादा वोटों से हारे थे गाजियाबाद से राज बब्बर उन्हें जनरल वीके सिंह के मुकाबले 567676 से हार का सामना करना पड़ा था। बाराबंकी से पी एल पुनिया 2,11,000 वोटों से हारे थे तो कानपुर से श्री प्रकाश जयसवाल 2,22,000 वोटों से चुनाव हारे थे। वहींं लखनऊ से राजनाथ सिंह के सामने रीता बहुगुणा 2,72,000 वोटों से चुनाव हारी थींं। कांग्रेस के करीब 50 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी।