आशुतोष टंडन ने बताया कि राजकी मेडिकल कालेज में पहली बार ई हास्पिटल सेवा शुरू की जा रही है। पहले चरण में जिन मेडिकल कालेजों को शामिल किया गया है उनमें इलाहाबाद मेडिकल कालेज, कानपुर मेडिकल कालेज, मेरठ मेडिकल कालेज, आगरा मेडिकल कालेज, गोरखपुर मेडिकल कालेज, झांसी मेडिकल कालेज और कानपुर के केंसर इंस्टीट्यूट और कानपुर के हृदय रोग संस्थान मुख्य हैं।
क्या है सुविधा ई हास्पिटल की
टंडन ने बताया कि ई हास्पिटल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन के लिए ओआरएस यानीकि ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन, रिविजिट रजिस्ट्रेशन, आईपीडी रजिस्ट्रेशन, पेशेंट एडमीशन, पेशेंट ट्रांस्फर, बेड एलोकेशन, डिसचार्ज, सर्विस पोस्टिंग, डेथ सर्टीफिकेट, बिलिंग सुविधा शामिल है।
टंडन ने बताया कि ई हास्पिटल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन के लिए ओआरएस यानीकि ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन, रिविजिट रजिस्ट्रेशन, आईपीडी रजिस्ट्रेशन, पेशेंट एडमीशन, पेशेंट ट्रांस्फर, बेड एलोकेशन, डिसचार्ज, सर्विस पोस्टिंग, डेथ सर्टीफिकेट, बिलिंग सुविधा शामिल है।
हर जगह दिखेंगे पंजीकृत किसी अस्पताल में हुए डायग्रोज
चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ई हास्पिटल में पंजीकृत किए गए मरीजों की जानकारी, उनका हुआ उपचार और उनके डायग्रोज हर जगह आटोमेटिक उपलब्ध होंगेे। अगर किसी व्यक्ति ने एम्स में दिखाया और फिर वह कानपुर में दिखाने गया तो उसके रजिस्ट्रेशन के आधार पर मिले यूआईडी नम्बर पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इससे मरीज का पूरा इतिहास डाक्टर को उपलपब्ध हो जाएगा और उसका बार बार टेस्ट नहीं कराना होगा।
चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ई हास्पिटल में पंजीकृत किए गए मरीजों की जानकारी, उनका हुआ उपचार और उनके डायग्रोज हर जगह आटोमेटिक उपलब्ध होंगेे। अगर किसी व्यक्ति ने एम्स में दिखाया और फिर वह कानपुर में दिखाने गया तो उसके रजिस्ट्रेशन के आधार पर मिले यूआईडी नम्बर पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इससे मरीज का पूरा इतिहास डाक्टर को उपलपब्ध हो जाएगा और उसका बार बार टेस्ट नहीं कराना होगा।
दूसरे चरण में दवाओं की भी होगी जानकारी
आशुतोष टंडन ने बताया कि दूसरे चरण में ई हास्पिटल में दवाओं, रिक्त बेडों, कमरों और ब्लड बैंक की स्थिति भी उपलब्ध होगी। यह सब मेडिकल कालेज के डिस्प्ले बोर्ड पर दिन भर प्रदर्शित होती रहेगी। इससे कोई भी डाक्टर झूठ नहीं बोल पाएगा कि दवा उपलब्ध नहीं है या बेड मौजूद नहीं है। सब कुछ ऑन लाइन दिख रहा होगा। एक्सपायर होने वाली दवाओं की जानकारी भी इसमें उपलब्ध होगी ताकि उसे समय से निस्तारित किया जा सके।
आशुतोष टंडन ने बताया कि दूसरे चरण में ई हास्पिटल में दवाओं, रिक्त बेडों, कमरों और ब्लड बैंक की स्थिति भी उपलब्ध होगी। यह सब मेडिकल कालेज के डिस्प्ले बोर्ड पर दिन भर प्रदर्शित होती रहेगी। इससे कोई भी डाक्टर झूठ नहीं बोल पाएगा कि दवा उपलब्ध नहीं है या बेड मौजूद नहीं है। सब कुछ ऑन लाइन दिख रहा होगा। एक्सपायर होने वाली दवाओं की जानकारी भी इसमें उपलब्ध होगी ताकि उसे समय से निस्तारित किया जा सके।
थोड़ी सी तकनीक ने दिखाया कमाल
उन्होंने बताया कि यह सब करने के लिए बस थोड़ी सी तकनीक का इस्तेमाल करना पड़ा और काफी अंतर दिखा। छह मेडिकल कालेज और दो चिकित्सा संस्थानों के आवासों, हास्टलों में केवल डेढ़ सौ किलोमीटर फाइवर केबिल डालने के बाद यह व्यवस्था लागू की गई। इसमें केवल 50 किलोमीटर केबिल अंडर ग्राउंड डाला गया है। इसके लिए 700 एक्सेस स्विच का इस्तेमाल किया गया हे। 490 कम्प्यूटर और 299 प्रिंटर लगाए गए हैं। इनको चलाने के लिए 66 डाटा एक्जीक्यूटिव और 8 सीनियर एक्जीक्यूटिव कार्य रत हैं। इससे नई बीमारियों के इलाज में भी आसानी होगी। ऐसा इसलिए क्यों कि हमें एक ही जगह पर पूरा डाटा मिल जाएगा।