दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2076 (गुजरात. 2075)
शक संवत -1941
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – नवमी सुबह 08:10 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – मॄगशिरा 26 अगस्त प्रातः 04:00 तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग – हर्षण दोपहर 02:19 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल – शाम 05:13 से शाम 06:48 तक
सूर्योदय – 06:21
सूर्यास्त – 19:00
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – नंद महोत्सव, गोगा नवमी
विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
विक्रम संवत – 2076 (गुजरात. 2075)
शक संवत -1941
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – नवमी सुबह 08:10 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – मॄगशिरा 26 अगस्त प्रातः 04:00 तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग – हर्षण दोपहर 02:19 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल – शाम 05:13 से शाम 06:48 तक
सूर्योदय – 06:21
सूर्यास्त – 19:00
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – नंद महोत्सव, गोगा नवमी
विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
एकादशी व्रत के लाभ 26 अगस्त 2019 सोमवार को सुबह 07:04 से 27 अगस्त, मंगलवार को सुबह 05:10 तक एकादशी है । विशेष महत्त्व 27 अगस्त मंगलवार को Ekadashi का व्रत उपवास रखें । एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
Ekadashi करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है । धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है । कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है । परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : Ekadashi का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
Ekadashi के दिन करें यह काम जरूर पंडित शक्ति मिश्रा ने बतायाकि एकादशी को दीपक जला कर विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें ,विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
Ekadashi के दिन यह सावधानी रहे उन्होंने बतायाकि महीने में 15-15 दिन में Ekadashi आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति Ekadashi न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए। Ekadashi के दिन चावल खाता है। तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।