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चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा, लाखों वोट हुए रद्द, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

locationलखनऊPublished: Dec 02, 2017 05:16:12 pm

Submitted by:

Laxmi Narayan

नगर निकाय चुनाव में कुल 421795 वोट अमान्य हुए।

nagar nikay 2017
लखनऊ. नगर निकाय चुनाव में एक ओर जहां राजनीतिक दल निगम, पालिका और पंचायतों के आंकड़ों की तुलना कर खुद को मबजूत बताने की कोशिश कर रहे हैं तो इस चुनाव में कई ऐसे भी दल रहे हैं जिन्हें एक भी व्यक्ति ने वोट नहीं दिया। इसके अलावा इस चुनाव के अलग-अलग निकायों में लगभग 80 हज़ार वोटरों ने नोटा का उपयोग किया। सबसे हैरत की बात यह है कि चार लाख से अधिक वोट रद्द भी किये गए हैं। नगर निगम में जहां मेयर पद के लिए सर्वाधिक वोट भाजपा को मिले तो नगर निगम पार्षदों के लिए डाले गए वोटों का सबसे अधिक हिस्सा निर्दलीय प्रत्याशियों को मिला।
तीन पार्टियों को शून्य वोट

उत्तर प्रदेश में जनता दल सेक्युलर, जनता दल यूनाइटेड और समता पार्टी को नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में एक भी पद के लिए एक भी वोट नहीं मिले। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी को नगर निगम महापौर के लिए शून्य और नगर निगम पार्षद चुनाव में 4856 वोट मिले हैं। राष्ट्रीय जनता दल को नगर निगम मेयर के लिए पूरे प्रदेश में शून्य वोट मिले जबकि नगर निगम पार्षदों के लिए 1810 वोट मिले। राजद को नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पदों पर शून्य और सदस्य पदों पर 210 वोट मिले हैं।
चार लाख से अधिक वोट रद्द

नगर निकाय चुनाव में चार लाख से अधिक वोट अमान्य हुए हैं। कुल 421795 वोट अमान्य हुए। इनमें नगर निगम मेयर के 589, नगर निगम सदस्यों के 129, नगर पालिका अध्यक्ष के 270126, नगर पालिका सदस्य के 256611, नगर पंचायत अध्यक्ष के 151080 और नगर पंचायत सदस्य के लिए डाले गए 144926 वोट अमान्य हो गए। इसके साथ ही नोटा का भी खूब उपयोग हुआ।
नगर निगम में नोटा का उपयोग अधिक

नगर निगम मेयर के लिए 48543, नगर निगम पार्षदों के 42040, नगर पालिका अध्यक्ष के 21779, नगर पालिका सदस्य के 14848, नगर पंचायत अध्यक्ष के 8919 और नगर पंचायत सदस्य के लिए 7920 वोटरों ने नोटा का उपयोग किया। नगर निकाय चुनाव 2017 में कुल 79241 वोटरों ने नोटा का उपयोग किया। तुलनात्मक रूप से देखें तो नोटा का अधिक उपयोग नगर निगम में हुआ जबकि नगर पालिका और नगर पंचायतों में अपेक्षाकृत नोटा का कम उपयोग किया।
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