क्षेत्रीय क्षत्रपों का सूपड़ा साफ, शिवपाल, राजभर, राजा भैया की पार्टियों का रहा बुरा हाल
भतीजे अखिलेश यादव से रार के बाद शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बनाई थी। यूपी में उन्होंने 55 सीटों पार्टी प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से उनका कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। फिरोजाबाद में अक्षय यादव की हार के बाद शिवपाल जरूर थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा था कि उनका मकसद सिर्फ रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को हराना है, जो यादव परिवार के विलेन हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले ही जनसत्ता दल लोकतांत्रिक दल बनाने वाले राजा भैया अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को ठीकठाक वोट भी नहीं दिला पाये। चुनाव परिणाम के साथ ही कुंडा से पांच बार विधायक रहे राजा भैया की अपराजेयता भी अब संदिग्ध हो गई है।शिवपाल सिंह यादव और रघुराज प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम हैं। दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों से पांच बार विधायक चुने गये और दोनों ही प्रदेश में कई बार मंत्री रह चुके हैं। बीते वर्षों में शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर से तो राजा भैया कुंडा से विधायक चुने जाते रहे हैं। सूबे की सियासत में दोनों का अपना रसूख है, लेकिन जब यह दोनों अपनी-अपनी पार्टी बनाकर चुनावी जंग में उतरे तो मतदाताओं ने इन पर भरोसा नहीं दिखाया। चुनाव परिणाम के बाद दोनों ही पार्टियों के समर्थकों में निराशा है।