राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की ओर से इस मुद्दे पर दाखिल याचिका पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने सभी उत्पादकों से राज्य सरकार का अनुमोदन प्रस्तुत करने कहा था। इसके बाद राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने पूरा मामला सरकार पर छोड़ दिया है। आयातित कोयले से करीब 11000 करोड़ रुपये अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा और दरें बढ़ना भी तय है इसलिए सरकार, पावर कार्पोरेशन व उत्पादन निगम फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं।
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फिर निगरानी में टेनरियां, हजारों का छिना रोजगार, गंगा स्वच्छता के लिए नया नियम लागू उपभोक्ताओं के प्रति संवेदनशीलता कोयले के खरीद पर विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अब विदेशी कोयले की खरीद के आसार इसलिए भी कम नजर आ रहे हैं। सरकार ने बिजलीघरों में कोयले की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में गंभीरता से प्रयास शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशी कोयले की खरीद की अनुमति न देकर उपभोक्ताओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री व ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के प्रति आभार जताया है।
आम जनता पर नहीं पड़ेगा प्रभाव फिलहाल प्रदेश सरकार और विद्युत विभाग ने विदेशी कोयला लेने से इंकार कर दिया। इससे अब बढ़ने वाली बिजली की दरों से लोगों को राहत मिलेगी। लेकिन मुद्दा ये है कि कोयले के संकट के बीच बिजली की आपूर्ति कैसे होगी। विद्युत विभाग का कहना है इसके भी योजनाएं तैयार हो रही है।