कैबिनेट में मिली थी मंजूरी बीती 5 फरवरी को कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसी कड़ी में प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने शासनादेश जारी किया है। ‘रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908’ में शामिल रजिस्ट्रीकरण फीस सारणी को संशोधित करते हुए सरकार ने वर्तमान में संपत्ति की कीमत का दो प्रतिशत व अधिकतम 20 हजार रुपये पंजीयन शुल्क लिए जाने की सीमा को समाप्त कर दिया है। रजिस्ट्री डीड पर एक समान पंजीयन शुल्क को प्रभावी कर दिया गया है। माना जा रहा है कि इस फैसले से हर साल सरकारी खजाने को करीब एक हजार करो़ड़ रुपये की आय होगी
अमीर-गरीब के बीच विषमता हो खत्म दरअसल, सरकार का मानना है कि कमजोर या गरीब तबके के लोगों को छोटी भूमि या संपत्ति की रजिस्ट्री कराने के दौरान अधिक शुल्क देना पड़ता था, जबकि बड़ी संपत्तियों की रजिस्ट्री कराने वाले लोग भी उसी अनुपात में पंजीयन शुल्क जमा करते थे। अमीर और गरीब के बीच इस विषमता को समाप्त करने के लिए प्रदेश सरकार ने पंजीयन शुल्क को एक समान करने का फैसला किया।