आगरा मेडिकल कॉलेज में भी मरीजों की कई जांचें ठप्प है। राजधानी लखनऊ में तमाम निर्देशों के बावजूद अस्पतालों की व्यवस्था में खास सुधार नहीं दिखाई पड़ रहा है। कहीं मरीजों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर नहीं मिल रही है तो कहीं डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। कई मरीजों ने तो बाहर स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ दिया। तीमारदारों के गिड़गिड़ाने के बावजूद किसी डॉक्टर ने मरीज को न देखा और नहीं इलाज किया।
उत्तर प्रदेश में जब समाजवादी सरकार थी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का विशेष अभियान चलाया गया था। मरीजों को अस्पताल तक लाने ले जाने के लिए 108 एम्बुलेंस सेवा शुरू की थी। प्रसूताओं और नवजात शिशुओं को घर से अस्पताल आने जाने के लिए 102 नम्बर एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई थी। भाजपा राज में ये सेवाएं बदहाल हो गई। भाजपा सरकार में न तो इन गाड़ियों के टायर बदले गए और नहीं एम्बूलेंस सेवा का संख्या विस्तार हुआ है।
सच तो यह है कि भाजपा सरकार चंद पूंजीपतियों की हितैषी है। भाजपा की नीति और नीयत दोनों में खोट है। प्राईवेट महंगे नर्सिंग होम और अस्पतालों की तादाद बढ़ती जा रही है जबकि गरीब सरकारी इलाज में दुर्व्यवस्था के शिकार हो रहे हैं। गरीब जनता परेशानी में किसी तरह जीने को मजबूर है। कोई उसको पूछने वाला नहीं है।