इस मामले की शिकायत लेकर उक्त महिला के पूर्व पति के परिवार के सदस्य पिछले दो साल से रेल विभाग और अधिकारियों का चक्कर लगाते रहे लेकिन अफसरशाही का रवैया मामले का संज्ञान न लेना का बना हुआ है। न ही उपरोक्त महिला के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई, बल्कि पूरा रेलवे महकमा उपरोक्त महिला का मददगार बना हुआ है। फर्जी प्रमाणपत्र का खुलासा एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिले पत्र से हुआ। जिसमें उल्लेख किया गया कि मधु पाल ने जिस चुटकी भंडार गर्ल्स इंटर मीडिएट कालेज, हुसैनगंज, लखनऊ से हाईस्कूल की परीक्षा वर्ष 1983 में दी थी (रोल नम्बर 1047582) उसका परीक्षा परिणाम अपूर्ण (आईएनसी) था। परीक्षा परिणाम अपूर्ण होने की दशा में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाता है। यह जानकारी उपरोक्त स्कूल प्रशासन ने आरटीआई में दी।
वहीं एक अन्य आरटीआई का जवाब देते हुये अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा न ही वर्ष 1983 में और न ही वर्तमान समय में, किसी छात्र को सीधे तौर पर प्रमाण पत्र प्रदान करने का कोई नियम है। रिजल्ट अपूर्ण को इनकंप्लीट से कम्पलीट करने के बाद प्रमाण पत्र जिला विद्यालय निरीक्षक के पास जाता है और फिर सम्बन्धित विद्यालय,कालेज के प्रधानाचार्य के पास जाता है। तत्पश्चात छात्र को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।
आरटीआई में यह भी खुलासा हुआ कि उपरोक्त महिला की नियुक्ति के समय पुलिस विवेचना तक नही की गयी थी जो नियम के अंतर्गत रेलवे में किसी भी पद पर व किसी भी प्रकार की नियुक्ति से पूर्व कराना अनिवार्य है। इस मामले की शिकायत पीड़ित सदस्यों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय व उत्तर रेलवे के शीर्ष अधिकारियों से की है, लेकिन लोको वर्कशाप लखनऊ के अधिकारी इस महिला के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नही करते हुए उसके बचाव में लगे हुये हैं।