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लखनऊ ट्रामा सेंटर में स्ट्रेचर तलाशते रहे परिवारजन, एंबुलेंस में मरीज की मौत

locationलखनऊPublished: Dec 13, 2020 01:53:09 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर किया जमकर हंगामा – 55 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना होने के कारण निजी अस्पताल में किया गया था भर्ती

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. राजधानी की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में इमरजेंसी सेवाओं में लापरवाही लगातार बढ़ती जा रही है। यहां पर्चा बनवाने से लेकर स्ट्रेचर तक के लिए तीमारदारों को लंबा इंतजार करना पड़ता है और गंभीर मरीजों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे ही शनिवार को एक मरीज एंबुलेंस में तड़पता रहा और परिवारजन स्ट्रेचर तलाशते रहे। इस दौरान उसकी सांसें थम गईं। हरदोई के शाहाबाद क्षेत्र निवासी लाला राम को पेट में तेज दर्द उठा। परिवारजन उन्हें लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां 24 घंटे तक उनका इलाज चला, मगर उन्हें राहत नहीं मिली। इस पर डॉक्टरों को आंत फटने की आशंका हुई और उन्होंने शनिवार दोपहर 12 बजे मरीज को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।

परिवारजन एंबुलेंस से दो बजे मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर के होल्डिंग एरिया में पहुंचे। यहां गार्ड ने परिवारजन को स्ट्रेचर पर मरीज लाने का फरमान सुनाया। इस पर भाई मुकेश काफी देर तक स्ट्रेचर तलाशता रहा, मगर नहीं मिला। इसके बाद वह पर्चा बनवाने लगा। पर्चा बनवाने के बाद एक बार फिर स्ट्रेचर तलाशने गया। तभी चार बजे एंबुलेंस में ही मरीज ने दम तोड़ दिया। भाई मुकेश के मुताबिक, वह स्टाफ व गार्ड से स्ट्रेचर उपलब्ध कराने की फरियाद करते रहे, मगर सब ने अनसुना कर दिया। ऐसे में इलाज के अभाव में मरीज की एंबुलेंस में ही मौत हो गई।

संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक स्ट्रेचर की कोई कमी नहीं है। मरीज गंभीर स्थिति में आया था। एंबुलेंस में ही टीम ने सीपीआर किया। इस दौरान उसकी मौत की पुष्टि की गई। शहर के एक निजी अस्पताल में मरीज की मौत हो गई। परिवारजन ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया। ऐसे में पुलिस पहुंचने पर मामला शांत हुआ।

लापरवाही के आरोप निराधार

दरअसल, फैजाबाद रोड स्थित एक निजी अस्पताल में 55 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना होने के कारण भर्ती किया गया था। इलाज के बाद रिपोर्ट निगेटिव आ गई, लेकिन फेफड़े में फाइब्रोसिस की समस्या हो गई। शनिवार शाम को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस दौरान परिवारजन ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक मरीज कोरोना निगेटिव हो गया था, लेकिन उसे फाइब्रोसिस की समस्या हो गई। काफी प्रयास के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। लापरवाही के आरोप निराधार हैं।

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