लखनऊ

अब निजी स्कूल नहीं कर सकेंगे मनमानी, विधानसभा में पास हुआ विधेयक

निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा तैयार किया गया विधेयक गुरुवार को विधानसभा में पास हो गया।

लखनऊAug 30, 2018 / 08:11 pm

Prashant Srivastava

योगी आदित्यनाथ

लखनऊ. निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा तैयार किया गया विधेयक गुरुवार को विधानसभा में पास हो गया। इसके विधेयक के मुताबिक निजी विद्यालय पांच साल से पहले यूनिफॉर्म नहीं बदल सकेंगे।उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक में फीस वृद्धि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को आधार बनाना जरूरी किया गया है। यही नहीं स्कूल कैंपस के कॉमर्शियल इस्तेमाल को भी स्कूल की आमदनी माना गया है। इसके अलावा ड्राफ्ट में अभिभावकों की शिकायतों के लिए जोनल शुल्क विनियामक समिति के गठन का भी प्रस्ताव ह।पिछले साल विधेयक का ड्राफ्ट सीएम के सामने पेश किया गया। जिस पर सीएम ने कहा कि हमारी कोशिश है कि ऐसा प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिसमें छात्रों के हितों की रक्षा हो साथ ही स्कूलों को भी कुछ भी गलत न लगे। इस ड्राफ्ट को लेकर व्यापक स्तर पर रायशुमारी की जाए, ताकि विधेयक को ज्यादा से ज्यादा व्यवहारिक बनाया जा सके।
ऐसे ली जाएगी अब फीस

अब निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस भी नहीं वसूल सकेंगे। फीस को दो हिस्सों में बांटा गया है। एक तो वह हिस्सा है, जिसे विद्यालय अनिवार्य रूप से ले सकते हैं। दूसरा हिस्सा वह है, जिसकी सेवाएं लेने पर ही संबंधित फीस दी जाएगी। विवरण पुस्तिका, पंजीकरण शुल्क, शिक्षण और परीक्षा शुल्क विद्यालय हर साल अनिवार्य रूप से ले सकेंगे। एडमिशन फीस हर साल नहीं बल्कि एक ही बार प्रवेश के समय ली जाएगी।कैंटीन का इस्तेमाल नहीं करता था, लेकिन शुल्क देना होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस तरह के मदों को ऐच्छिक फीस में डाल दिया गया है। आवागमन सुविधाएं, बोर्डिंग, भोजन, शैक्षिक भ्रमण और अन्य सुविधाएं जिसमें छात्र हिस्सा लें, उसी की फीस देनी होगी। इसके अलावा विकास शुल्क कुल संभव और ऐच्छिक फीस का अधिकतम 15% होगा। इसका इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर में होगा, जिसमें नई ब्रांच खोलना भी शामिल होगा।
नए छात्रों के लिए

नया दाखिला लेने वाले छात्रों की फीस निर्धारण के लिए स्कूल स्वतंत्र होंगे, लेकिन यह फीस स्कूल की कुल आय-व्यय और विकास फंड (प्रति छात्र) में संग्रहित कुल राशि के योग से अधिक नहीं होगी।

पुराने छात्रों के लिए

वर्तमान छात्रों के लिए शैक्षिक स्टाफ को दिए जाने वाले मासिक वेतन में की गई बढ़ोतरी के अनुपात में फीस बढ़ाई जा सकेगी। लेकिन यह बढ़ोतरी वार्षिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक+5% से अधिक नहीं होगी
 

 

 

 
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