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पुलिस के पास पहुंचा अनोखा मामला, अपार्टमेंट वाले हड़प ले रहे मुहल्लेवासियों का पानी

locationलखनऊPublished: Jun 16, 2018 01:47:33 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

पुराने लखनऊ यानी चौक क्षेत्र में शुक्रवार को अजीब नजारा था, मुहल्लेवासी और एक अपार्टमेंट के लोग झगड़ रहे थे…

fight for water supply

पुलिस के पास पहुंचा अनोखा मामला, अपार्टमेंट वाले हड़प ले रहे मुहल्लेवासियों का पानी

पत्रिका सरोकार
लखनऊ. पुराने लखनऊ यानी चौक क्षेत्र में शुक्रवार को अजीब नजारा था। मुहल्लेवासी और एक अपार्टमेंट के लोग झगड़ रहे थे। पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि झगड़े को कैसे शांत कराए। मुहल्लेवाले का कहना था कि अर्पाटमेंट के लोग उनके हिस्से के पानी का दोहन कर रहे हैं इसलिए उनके यहां के ट्यूबबेल ठप पड़े हैं। ठीक इसी दिन अलीगंज क्षेत्र के पांडेय टोला में पानी का टैंकर लूट लिया गया। पार्षद ने जलकल के जीएम को चेतावनी दी। व्यवस्था न सुधरी तो तोडफ़ोड़ और घेराव होगा। यह दो घटनाएं नीति आयोग की जल संकट पर जारी रिपोर्ट की भयावहता की ओर इशारा करती हैं। दो पहले जारी हुई इस रिपोर्ट में कहा गया कि देश इस समय इतिहास के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है। लेकिन, पानी को लेकर हो रहे इस तरह के झगड़ों के बाद भी इन घटनाओं को प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। जब राजधानी लखनऊ में इस तरह का जल संकट है तो 21 करोड़ आबादी वाले प्रदेश के अन्य जिलों का क्या हाल होगा? इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
लखनऊ हुआ शिमला
जिस तरह से हिमाचल प्रदेश के शिमला में इन दिनों जल संकट काबू से बाहर हो चुका है। ठीक उसी तरह इन दिनों लखनऊ के अनेक क्षेत्रो मेंं भी रात को लोग पानी के लिए सडक़ों पर कतार लगा रहे हैं। पानी की सप्लाई बहुत कम है। कुछ जगहों पर तो न के बराबर है। नलों में पानी नहीं आ रहा। घर-घर लगे अवैध सबमर्सिबल पंपों की वजह से अधिकांश हैंडपंप सूख गए हैं। अपार्टमेंट वाले आमजनता के हक पर डाका डाल रहे हैं। प्रशासन जानबूझकर अनजान बना है।
क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग ने जल प्रबंधन पर एक रिपोर्ट जारी की है। उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश जल प्रबंधन में फिसड्डी साबित हुआ है। नीति आयोग के जल प्रबंधन सूचकांक सूची में उप्र सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक उप्र में लाखों जिंदगियां और उनकी आजीविका सिर्फ पानी की वजह से खतरे में है तकरीबन 75 फीसदी घरों में पीने का पानी मुहैया नहीं है । 84 फीसदी ग्रामीण घरों में पाइप से पानी नहीं पहुंचता और प्रदेश में 70 फीसदी पानी पीने लायक नहीं है। हालत यह है कि देश के तकरीबन 60 करोड़ लोग पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं और साफ पानी न मिलने से हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो रही है। पानी की वर्तमान आपूर्ति के मुकाबले 2030 तक आबादी को दोगुनी पानी की आपूर्ति की जरूरत होगी। वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में भारत 120वें स्थान पर है।
ऐसे बचेगा जल
-घरों में हर बार फ़्लैश चलाने से बचा जाए।
-वाटर फ्री यूरिनल्स का प्रयोग शर्त बन जाए।
-100 फ्लैट वाला अपार्टमेंट इस तरह एक दिन में कम से कम 7 हजार लीटर पानी बचाएगा।
-हर अपार्टमेंट में किचन और बाथरूम के पानी के संचय और रिसाइकिलिंग के बाद पुन: उपयोग की व्यवस्था हो
-स्कूल, आफिस और प्रत्येक अपार्टमेंट में यह व्यवस्था अनिवार्य हो।
-प्रत्येक घर को वर्षा जल संचय करना अनिवार्य किया जाए।
-नदियों और नालों में बह जाने वाले जल के संचय की व्यवस्था हो।
-अवैध सबमर्सिबल पर रोक लगे।
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