
Finger prints taken of those who disturb the peace units open in every district
अपराधियों के आइडेंटिफिकेशन और डाटा को और मजबूत करने के लिए छोटे से छोटे और बड़े से बड़े अपराध में पकड़े गए अपराधियों के फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे। उन फिंगर प्रिंट के साथ ही आरोपितों का पूरा रिकार्ड होगा। इसके जरिए पुलिस जब चाहे अपराधियों के बारे में मूल जानकारी ले सकेगी। इसके लिए हर जिले में फिंगर प्रिंट यूनिट खोली गई है। इसमें चार पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। पूरे सिस्टम को एनएएफआईएस (नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) कहा जाता है।
अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेने के प्रपोजल को तत्कालीन आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बनाया था। उसके बाद तकनीकी सेवाओं में तैनाती के दौरान उन्होंने इस पर कार्य शुरू कर लागू करा दिया। इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। जिसमें अब हर छोटे और बड़े अपराधों में आरोपितों के फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे। इसमें शांति भंग की धारा में जो गिरफ्तार होंगे या जिन्हें कार्रवाई करते हुए बाउंड डाउन भी किया जाएगा उनके फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे।
फिंगर प्रिंट यूनिट अपडेट कर अपलोड करेगा
फिंगर प्रिंट लेना थानों की जिम्मेदारी होगी। जिले में जो फिंगर प्रिंट यूनिट खुली हैं उसमें चार पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। इनका कार्य होगा थानों से जो फिंगर प्रिंट और डाटा आ रहा है उसे एक फॉरमेट में बनाकर उसे ऑनलाइन अपलोड करना। फिंगर प्रिंट यूनिट का मदर सर्वर लखनऊ में रखा गया है। जिसकी मॉनिटरिंग एडीजी तकनीकी सेवा ने अपने हाथों में ले ली है।
हेड कांस्टेबल या उससे ऊपर रैंक के ले सकेंगे फिंगर प्रिंट
इस प्रोजेक्ट में पहले दरोगा या उससे ऊपर रैंक के अफसर को फिंगर प्रिंट लेने के लिए रखा गया था मगर बाद में इसमें संशोधन करते हुए हेड कांस्टेबल या उससे ऊपर रैंक के अफसरों को फिंगर प्रिंट कलेक्ट करने का अधिकार दिया गया है।
लखनऊ में रखे जाएंगे सुरक्षित
एडीजी तकनीकी सेवा मोहित अग्रवाल के अनुसार सभी जिलों में इस सिस्टम को लागू कर दिया गया है और फिंगर प्रिंट यूनिट भी बना दी गई है। सारे आरोपितों के प्रिंट लखनऊ यूनिट के पास सुरक्षित रहेंगे। जब भी पुलिस को किसी अपराध में किसी आरोपित पर शक होगा तो उसके फिंगर प्रिंट के जरिए उस तक पहुंचा जा सकेगा।
Published on:
18 Jul 2022 10:28 pm
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