अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि विगत 02 महीने से कोरोना महामारी की विषम परिस्थिति के कारण बैठक सम्पन्न नहीं हो सकी। कोविड-19 के कारण विधायिका के समक्ष एक नई चुनौती है। ऐसे माहौल में जिन सदनों में 06 माह की अवधि व्यतीत हो रही है। उनकी बैठक संवैधानिक अपरिहार्यता के कारण बुलायी जानी है। उन सदनों की बैठकें किस प्रकार आहूत की जाय। यह विचारणीय प्रश्न है। संसदीय व्यवस्था से जुडे़ कतिपय देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान एवं आस्ट्रेलिया द्वारा वर्तमान माहौल में भी संसद की बैठके आहूत की गयी है। वहां पर इसको ‘वर्चुअल पार्लियामेन्ट’ की संज्ञा दी गयी है। भारत जैसे विशाल आबादी एवं आकार की दृष्टि से बड़े राष्ट्र होने के कारण संवैधानिक अपरिहार्यता के बावजूद सदनों की बैठक बुलाये जाने में कठिनाई है। उन्होंने इस संभावना पर विचार किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अध्यक्ष ने सदन को व्यवधान रहित सुचारू रूप से चलाये जाने के बारे में समिति के सभी विधान सभाओं के अध्यक्षों से भी अपने-अपने विचार व्यक्त करने का अनुरोध किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग में समिति में 7 सदस्यों में से 6 सदस्य, राजेन्द्र सूर्यप्रसाद त्रिवेदी, अध्यक्ष, गुजरात विधान सभा, जगदीश देवड़ा, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश विधान सभा, राणा के0पी0 सिंह, अध्यक्ष, पंजाब विधान सभा, थीरू पी0 धनपाल, अध्यक्ष, तमिलनाडु विधान सभा, श्री रेबती मोहन दास, अध्यक्ष, त्रिपुरा विधान सभा ने भाग लिया और अपने-अपने विचार रखे। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ॰ चरणदास महंत, अपरिहार्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सकें।
समिति के सभी सदस्यों द्वारा यह विचार व्यक्त किया गया कि सदन की बैठकों के दिनों की संख्या कम होने के कारण नये सदस्यों को सदन में अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल पाता है। अतएव सदन के दिनों की संख्या बढ़ायी जाए। सदन में इस प्रकार की व्यवस्था बनायी जाए जिससे अधिकांश विधायकों को अपनी बात कहने का अवसर मिल सके। जीरो आवर पर महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय की जरूरत पर बल दिया गया। नियमों में जरूरी संशोधन के सुझाव भी दिए गए। सत्ता एवं प्रतिपक्ष के बीच सामंजस्य बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। प्रक्रिया एवं नियमावली के बारे में विशेष प्रशिक्षण की जरूरत बताई गई। दलों द्वारा अपने स्तर पर सदस्यों को प्रबोधन कार्यक्रम चलाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। कोरोना महामारी के बीच फिजिकल डिस्टेंशिंग को बनाए रखते हुए सदन की बैठकों को सम्पन्न करने के लिए नियमों में व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता बतायी गयी।
उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ने राजनीतिक दलों से यह अपेक्षा की कि वे अपने विधायकों को इस प्रकार का प्रशिक्षण दें कि उन्हें सदन में निर्धारित प्रक्रिया और अध्यक्ष पीठ से दिये जाने वाले निर्देशों का अनुशासनबद्ध होकर पालन करें। उन्होंने ने अंत में कहा कि सदन को व्यवधान रहित सुचारू रूप से चलाये जाने व कोरोना महामारी के मध्य सदन कैसे संचालित किये जाय के विषय में बहुत ही बहुमूल्य सुझाव प्राप्त हुए। इस संबंध में विचार-विमर्श की कार्यवाही तथा प्राप्त बहुमूल्य सुझावों को सभी सदस्यों को प्रेषित किया जायेगा। इसके साथ ही विचार-विमर्श के बीच प्राप्त सुझावों के बारे में लोक सभा अध्यक्ष को भी अवगत कराया जायेगा।