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रंग महोत्सव में अभिनय व सुरों का संगम

locationलखनऊPublished: Jan 17, 2016 07:01:00 am

Submitted by:

santosh

रंग संस्कार थियेटर ग्रुप और कारवां द्वारा प्रताप ऑडिटोरियम में आयोजित
अलवर रंग महोत्सव में शनिवार को दो नाटकों चार कंधे व हरिलाल एंड संस का
मंचन किया गया।

रंग संस्कार थियेटर ग्रुप और कारवां द्वारा प्रताप ऑडिटोरियम में आयोजित अलवर रंग महोत्सव में शनिवार को दो नाटकों चार कंधे व हरिलाल एंड संस का मंचन किया गया। इसके अलावा म्यूजिकल नाइट में अलवर के लोक कलाकारों ने भी प्रस्तुति दी। शहरवासियों ने इनका जमकर आनंद लिया।

भाषण सुनने को लाश भी चाहिए
प्रदीप प्रसन्न (गुजरात) के निर्देशन में चार कंधे नाटक का मंचन किया गया। नाटक में राजनीति पर व्यंग्य किया गया है। नाटक में छह दोस्त लावारिस लाशों को जलाते हैं। श्मशान घाट दूर है। वे पास में ही सरकारी बंजर जमीन तलाशते हैं। जमीन पर श्मशान बनाने के लिए एमएलए से मिलते हैं। विधायक शर्त रखता है कि श्मशान का उद्घाटन उसके द्वारा होगा, वहां उसका भाषण होगा, भाषण सुनने को भीड़ होगी और एक लाश भी होनी चाहिए।

लड़की के चक्कर में करने लगते हैं नौकरी
तपन भट्ट (जयपुर) के निर्देशन में हरिलाल एंड संस नाटक का मंचन किया गया। नाटक एक बाप और उसके तीन बेटों की हास्य कहानी पर आधारित है। हरिलाल की पत्नी का देहांत हो चुका है। वह तीनों बेटों के साथ रहता है। उसके तीनों बेटे निठल्ले हैं और अमीर बनने के सपने देखते हैं। हरिलाल उन्हें सुधारने के लिए एक नाटक कंपनी में काम करने वाली लड़की को भेजता है। लड़की को आकर्षित करने में तीनों लड़के जुट जाते हैं। लड़की शर्त रखती है कि उसकी शादी उसी से होगी जो कि नौकरी करता हो। लड़की की शर्त को सुनकर हरिलाल के तीनों बेटे नौकरी करने लगते हैं।

लोक कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुति
अलवर के लोक कलाकारों द्वारा म्यूजिकल नाइट में शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। सारेगामा फेम रेणु नागर ने सूफी गायन, चिन्मय पाराशर ने ठुमरी, बनवारी लाल सेन ने गजल की प्रस्तुति दी। ब्रजभूषण भट्ट-हरिहरशरण भट्ट ने वायलिन-सितार पर जुगलबंदी, शालू सोनी ने चरी-भवई, पुनीत सोनी ने ध्रुपद, उमर फारुख ने भपंग पर लोकगीत, कामिनी तंवर ने राजस्थानी मांड, डॉ. अनुरिता ने सरस्वती वंदना, विनोद ने तबले और बाबूलाल ने की बोर्ड पर प्रस्तुति दी।

संवाद में हुई चर्चा

‘अलवर में पर्यटन की संभावनाएं’ विषय पर आयोजित संवाद में साहित्यकार, रंगकर्मी, शिक्षाविद् और होटल व्यवसायियों ने कहा कि अलवर के गौरवमयी इतिहास, कला, संस्कृति, पर्यटन और ग्रामीण अंचल में फैले वैभव को प्रचार-प्रसार के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया जाए। संवाद में डॉ. वीरेन्द्र विद्रोही, अनिल कौशिक, डॉ. जीवन ङ्क्षसह मानवी, इतिहासविद् हरिशंकर गोयल, विंग कमांडर मंगल ङ्क्षसह, योगेंद्र भारद्वाज, पवन खंडेलवाल, दशरथ ङ्क्षसह, ब्रजेंद्र भारद्वाज, राजेश कृष्ण, नूर मोहम्मद, लोकेश खंडेलवाल, मास्टर प्यारे सिंह, खमानी राम मीणा और अजीत यादव ने विचार रखे।

ये रहे मौजूद
विधायक जसवंत यादव, सरस डेयरी चेयरमेन बन्नाराम मीणा, बिग्रेडियर श्रेय मेहता, एएसपी पारस जैन, एएसपी यशपाल त्रिपाठी, डीएसपी हुमायूं कबीर खान, राजेश सिंघल, मनोज चाचान, डॉ. आरके ङ्क्षसह, राजेश भारद्वाज, अतुल ङ्क्षसह, भाजपा नेता संजय शर्मा और जुगल गांधी मौजूद रहे।
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