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लखनऊ

यूपी की इन पांच महिलाओं ने राजनीति में गाड़ा है अपनी बुलंदी का झंडा

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7 years ago
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मोहसिना किदवई कांग्रेस की दिग्गज नेताओं में सुमार रहीं हैं। वह केंद्र में मंत्री भी रहीं है। यूपी और केंद्र की राजनीति में इनका काफी योगदान रहा है। कांग्रेस में मुस्लिमों का बड़ा चेहरा हैं। मोहसिना किदवई का जन्म 1 जनवरी 1932 को यूपी के बांदा जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय कुतुब-उदीन अहमद मुल्ला और माता का नाम स्वर्गीय जहर खतून था। उनका विवाह 17 दिसंबर 1953 को खलील आर किदवई से हुआ था। मोहसिना किदवई ने इंटरमीडिएट विमेंस कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में शिक्षा ली है।
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स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ी सुचेता कृपलानी कई बार जेल भी गयीं। १946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गयीं और 15 अगस्त 1947 को संविधान सभा में वन्देमातरम् भी गाया। 1958 से 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव रहीं। 1963 से 1967 तक वह उत्तर प्रदेश की मु यमंत्री रहीं। 2 अक्टूबर 1963 से लेकर 14 मार्च 1967 तक वह उत्तर प्रदेश के मु यमंत्री रहीं। इससे पहले वह दो बार लोकसभा की सदस्य भी चुनी गईं।
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विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18, अगस्त, 1900 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके बचपन का नाम स्वरूप कुमारी था और श्रीमती स्वरूपरानी व पंडित मोतीलाल विजय लक्ष्मी पंडित के माता पिता थे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु उनके बड़े भाई थे, जो उनसे उम्र में 11 वर्ष बड़े थे। स्वरूप कुमारी का विवाह गुजरती विद्वान् रणजीत पंडित से हुआ। विवाह के बाद स्वरुप कुमारी का नाम बदल कर विजय लक्ष्मी पंडित हो गया फिर वो अपने इसी नाम से जानी जाने लगीं। विजय लक्ष्मी पंडित ने अपने पति के साथ आजादी के आन्दोलन में भाग लिया और इसके लिए उनको कई बार जेल जाना पड़ा। वो हमेशा राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं।
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इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति में आयरन लेडी भी कहा जाता है। इंदिरा जी को राजनीति अपने पिता और नाना से विरासत में मिली थी। वह देश की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का केंद्र बिंदु भी थीं। इंदिरा गांधी 1966 से 1977 और 1980 से 1984 तक देश की सेवा की। वह भारत की सबसे ज्यादा समय तक पीएम रहने के मामले में दूसरे स्थान पर रहीं।
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1984 में जब कांशीराम ने एक नए राजनैतिक दल बहुजन समाज पार्टी का गठन किया तो मायावती शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर पार्टी की पूर्णकालिक कार्यकत्र्ता बन गयीं। उसी साल उन्होंने मुज्जफ़रनगर की कैराना लोकसभा सीट से पहला चुनाव अभियान आरंभ किया। 1985 और 1987 में भी उन्होंने लोकसभा चुनाव में कड़ी मेहनत की। आखिऱकार १989 में उनके दल बहुजन समाज पार्टी ने 13 सीटो पर चुनाव जीता। 1995 में वे उत्तर प्रदेश की गठबंधन सरकार में मु यमंत्री बनीं। 2001 में पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने मायावती को दल के अध्यक्ष के रूप में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
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