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गोवंश का धन हड़पने और गोशाला की जमीन में गड़बड़ी-डीएम, दो एसडीएम समेत पांच निलम्बित

locationलखनऊPublished: Oct 14, 2019 03:46:34 pm

Submitted by:

Anil Ankur

गोवंश पर सरकार की बड़ी कार्रवाईमुख्यमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता है गोवंश की रक्षाहर जिले में गोवंश को बचाने के लिए चलाया जा रहा है अभियान

लखनऊ. एक तरफ यूपी के सीएम की सर्वोच्च प्राथमिकता गोवंश का बचाने की है। वहीं दूसरी ओर लापरवाह व बेईमान अधिकारी गोवंश का धन हड़पने में जुटे हैं । गोशाला की तकरीबन साढ़े तीन सौ एकड़ जमीन निजी हाथों में देने का मामला प्रकाश में आया है। इस भ्रष्टाचार की जानकारी जब यूपी सरकार को हुई तो मामले की जांच कराई गई। इस मामले में जिलाधिकारी, दो एसडीएम और तीन पशुचिकित्साधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी कराई जा रही है।
इन पर हुई है कार्रवाई

इस प्रकरण की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव आरके तिवारी और प्रमुख सचिव पशुधन सुधीर एम बोबड़े ने बताया कि महराजगंजह के मधवालिया गोसदन के प्रबन्ध कार्यकारिणी में जिलाधिकारी महराजगंज बतौर अध्यक्ष होते हैं। निचलौल के एसडीएम सदस्य नामित होते हैं। प्रारम्भिक जांच में इन गंभीर अनियमितताओं के लिए जिलाधिकारी महराजगंज अमर नाथ उपाध्याय, तत्तकालीन एसडीएम देवेन्द्र कुमार और मौजूदा एसडीएम सत्यम मिश्रा, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी वीके मौर्य, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी राजीव उपाध्याय को निवलम्बित कर दिया गया है। इसके साथ ही शासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी फैसला किया है।
गोवंश्ंा का क्या है मामला

महराजगंज के मधवालिया गो सदन में गोवंश की बड़े पैमाने पर कमी एवं वृहद परिणाम में भूमि को लीज पर दिए जाने के सम्बन्ध में जांच कराई गई। जांच में पाया गया कि निराश्रित गोवंश पशुओं के रजिस्टर में लिखे गए 2500 दर्शाए गए थे। पर जांच में पाया गया कि मौके पर 954 से ज्यादा गोवंश गायब थे। जांच कमेटी ने इसे गंभीर अनियमिता के रूप में आंकलन किया है। जांच कमेटी का कहना है कि या तो इस बढ़ी हुई संख्या को जानबूझकर ज्यादा दिखाया गया है ताकि गोवंश के रख-रखाव के लिए धन का दुरुउपयोग किया जा सके। अथवा इतनी बड़ी संख्या में गोवंश कहां गया, यह अलग जांच का बिन्दु होगा।
वन विभाग की जमीन पर निजी लोगों को लीज पर दे डाला

गोवंश के रख रखाव के लिए वन विभाग की 500 एकड़ जमीन पशुपालन विभाग व इस समिति को दी गई थी। इसमें से 338 एकड़ जमीन कुछ समय के लिए हुंडा एवं किसानों व इलाकाई फर्मो को दे दिया गया । यह मामला भी विधिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। यह कार्रवाई समिति के अधिकार क्षेत्र के बाहर थी।
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