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दूध, मछली, आम और फूल का व्यवसाय चौपट : अखिलेश यादव

locationलखनऊPublished: May 26, 2020 07:05:40 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

संकट के लिए BJP की डबल इंजन की सरकारें जिम्मेदार है।

दूध, मछली, आम और फूल का व्यवसाय चौपट : अखिलेश यादव

दूध, मछली, आम और फूल का व्यवसाय चौपट : अखिलेश यादव

लखनऊ , Samajwadi Party के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व Chief Minister Akhilesh Yadav ने कहा है कि वो समझते है कि Corona की महामारी की आड़ में अन्य बुनियादी गम्भीर समस्याओं की अनदेखी की जा सकती है। जहां एक तरफ विस्थापित श्रमिकों और बेरोजगार नौजवानों के सामने भविष्य की चिंता है। वहीं किसानों की बदहाली ने खेती के सामने संकट पैदा कर दिया है। इस संकट के लिए BJP की डबल इंजन की सरकारें जिम्मेदार है।
Corona संकट और Lockdown की मार सर्वाधिक किसानों पर पड़ी है। टीम इलेवन और भाजपा मंत्रिमण्डल की बैठकों में किसानों को वास्तविक राहत देने के उपायों पर सोच विचार की जगह हवाई रोजगार पैदा करने पर ही जोर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री किसानों की समस्याओं पर गौर करना नहीं चाहते हैं। कारण स्पष्ट है कि BJP का किसानों के हितों से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा है। Samajwadi Party ने किसानों की परेशानियों से सम्बन्धित मुद्दों को कई बार उठाया लेकिन BJP Government तो अपने कानों पर हाथ धरे बैठी है। Samajwadi Party किसान का अन्नदाता के रूप में सम्मान करती है और इसीलिए Samajwadi government में बजट का 75 प्रतिशत भाग खेती-गांव के लिए रखा गया था। BJP ने नीति निर्माण में कृषि को उपेक्षित रखा है जबकि कृषि क्षेत्र 50 प्रतिशत आबादी को रोजगार देता है। कोरोना की महामारी के दौर में हुए व्यापक पलायन के शिकार लोगों को रोटी-रोजी की गांवों में ही उपलब्धता है।
विडम्बना है कि Lockdown उस समय हुआ जब रबी की फसल तैयार थी। बे-मौसम बरसात ने किसानों को तबाह किया लेकिन बाजार बंदी से उसकी फल-सब्जियों की मांग ही नहीं रही। दूध, मछली, आम और फूल का व्यवसाय चौपट हो गया। किसानों ने मजबूरी में खेतों से कई फसलें उजाड़ दीं। सरकारी दावों के बावजूद गेहूं खरीद के क्रय केन्द्रों का कोई अता-पता नहीं चला, जिससे किसान को रूपया 1925 प्रति क्वींटल न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नसीब नहीं हुआ। किसान का माल औने-पौने दाम पर बिचैलिए लूट ले गए। उत्तर प्रदेश में अभी तक 20 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा गन्ना किसानों का भुगतान बकाया है। चीनी मिलें बंद हो रही है यद्यपि गन्ना खेतों में खड़ा है। भाजपा सरकार गन्ना किसानों को राहत देने के बजाय मिल मालिकों के कथित घाटे को लेकर ज्यादा चिन्तित है। सरकार ने भुगतान कराने के बजाय किसानों को तीन बोरी चीनी खरीदने की सलाह दी है। चीनी की बोरी 3150 रूपए की होगी जिस पर 157 रूपए जीएसटी भी अदा करना होगा। किसानों के प्रति यह घोर अन्याय है।
इन दिनों खरीफ की बुवाई का समय है। धान रोपने की तैयारी किसानों ने शुरू कर दी हैं। लेकिन BJP Government की तरफ से कोई राहत-सुविधा नहीं मिल रही है। गुणवत्ता वाला धान का बीज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। हाईब्रीड धान का बीज 300 रूपया प्रति किलों से ज्यादा में बिक रहा है। मंडियों में किसानों की लूट का बाजार गर्म है। सम्बन्धित अफसर जानकर भी अनजान बने हुए है। ऐसे समय में आवश्यकता इस बात की है कि किसानों को आर्थिक आजादी मिले।
Samajwadi Party की मांग है कि सरकार किसानों की गरिमा को गिरवी न होने दे। किसान अन्नदाता है, भिखारी नहीं। Lockdown पीरियड में फसलों के दाम गिरने से किसानों की बदहाली में बहुत इजाफा हुआ है। BJP Government अब उस पर रहम करे और बीज, खाद, उपकरण, कीटनाशक आदि सस्ते दाम पर उपलब्ध कराएं। भण्डारण, संरक्षण की उचित व्यवस्था हो। वेयर हाउस अपर्याप्त हैं उससे किसान की काफी फसल बर्बाद हो जाती है। ब्याज पर कर्ज की व्यवस्था समाप्त हो। किसानों को तत्काल कार्यपूंजी देने का इंतजाम हो। 5 एकड़ से कम जोत वाले किसानों पर भारी कर्ज हो गया है उन्हें और कर्ज नहीं नगद आर्थिक मदद की जाए।
इस समय खेतों में सब्जियों, फलों और फूलों की फसल सड़ गयी है। मण्डियों में लगभग बंदी है। किसानों की जेबें खाली है। उन्हें हजार दो हजार रूपया महीना देना मजाक है। कृषि का निर्यात 2.6 लाख करोड़ ही है। अगर खेत पर सरकार द्वारा आर्थिक मदद नहीं की गई तो, न सिर्फ किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होगा बल्कि भारत में अन्न संकट के कारण भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। इस स्थिति की जिम्मेदारी BJP Government की किसान विरोधी नीतियों को ही होगी।
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