ध्यान देने योग्य स्थिति यह है कि सत्तारूढ़ दल उपचुनावों में भी सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने से बाज नहीं आ रहा है। लेखपालों से लेकर पुलिस चैकी इंचार्ज तक ग्राम प्रधानों, ब्लाक प्रमुखों तथा कोटेदारों को B J P के पक्ष में वोट डालने का दबाव बना रहे हैं। अराजकतत्व मतदान केन्द्रों पर लोगों को वोट डालने से रोकने की कोशिशें कर सकते हैं। B J P के पक्ष में वोट डलवाने के लिए उनके मंत्रीगण, सांसद एवं विधायक निर्वाचन क्षेत्रों में आज भी डटे हुए है, जबकि 19 अक्टूबर 2019 के सायं 05ः00 बजे के बाद से ही प्रचार बंद है। रामपुर, प्रतापगढ़, जलालपुर, जैदपुर, बलहा तथा घोसी विधानसभा क्षेत्रों के समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने उपचुनाव में धांधली किए जाने की शिकायतें मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा निर्वाचन आयोग को भेजी है लेकिन जिलाधिकारी और रिटर्निंग अफसर आंख मूंदे हुए है।
मतदाताओं को डराना-धमकाना और प्रलोभन देना आदर्श आचार संहिता के खुले उल्लंघन की श्रेणी में आता है। सत्ता की मनमानी पर रोक के साथ निर्वाचन आयोग को ऐसी पारदर्शी व्यवस्था भी करनी चाहिए ताकि पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा मतदाताओं को डराने धमकाने की शिकायतें न हों। यह बात याद रखने की है कि लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी प्रदेश के मतदाताओं की भी है। उन्हें बिना किसी दबाव, भय या प्रलोभन के अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग करना होगा तभी सत्तारूढ़ दल की कपटी राजनीति पर रोक लगेगी और उसका अहंकार चकनाचूर होगा।