पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि कुछ दिन पहले मैंने अखबार में पढ़ा था कि कुछ शस्त्र लाइसेंसियों के खिलाफ पुलिस ने इसलिए मुकदमा दर्ज कर दिया था कि वे खरीदे और खर्च किए गए कारतूसों का हिसाब नहीं दे सके। इसके साथ ही उनके शस्त्र जमा कर लिए गए और लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट देने की बात भी कही गई।
सुलखान सिंह के मुताबिक, लाइसेंस की शर्तों में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि लाइसेंसी अपने कारतूसों का कोई रिकॉर्ड रखेगा। जो शर्त अधिनियम या नियमावली में नहीं है, वह किसी प्राधिकारी द्वारा नहीं लगाई जा सकती है। इस आधार पर शस्त्र भी पुलिस अपने कब्जे में नहीं ले सकती। इस आधार पर लाइसेंस भी निरस्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने लिखा है कि नागरिकों को तो अपने अधिकारों के प्रति सतर्क रहना ही चाहिए, पुलिस को भी गैर कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखनी है, लेकिन कानून के अंतर्गत, कानून का अतिक्रमण करके नहीं।